मस्जिदे अक्सा में क़दीम मख़तूतात का तहफ़्फ़ुज़

येरूशलम के अरब लीडरों ने 1920 के अशरे में मशरिक़े वुस्ता के दानिश्वरों से हंगामी तौर पर अपील की कि वो अपनी कुतुब उन्हें इरसाल करें ताकि उन किताबों को आइन्दा नस्लों के लिए मस्जिद अक्सा में जो मुसलमानों का तीसरा सब से बड़ा मुक़द्दस मुक़ाम है, नए तामीर शूदा कुतुब ख़ाने में महफ़ूज़ किया जा सके।

इस अपील पर हर तरफ़ से तसानीफ़ की बारिश शुरू हो गई। इन में हर तरह का तहरीरी मवाद शामिल था।

इस अहम काम का बीड़ा उठाने वालों की कोशिश है कि इस बेशक़ीमत और नादिर इल्मी खज़ाने को ऑन लाइन शाय किया जाए ताकि इस से अरब दुनिया के वो मुहक़्क़िक़ीन और दानिश्वर भी इस्तिफ़ादा कर सकें, जो येरूशलम तक का सफ़र नहीं कर सकते हैं।