मस्जिद को आबाद करने और फ़िक्र आख़िरत की तलक़ीन

मसाजिद अल्लाह के घर हैं, उन को आबाद करना मुसलमानों की अहम ज़िम्मेदारी है। मसाजिद को आबाद वही लोग करते हैं, जो अल्लाह और आख़िरत पर ईमान रखते हैं। ईमान वालों का काम यही हैके अल्लाह के अहकामात पर अमल करें और प्यारे नबी (स०) के तरीक़ों को अपनाईं।

इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना मुहम्मद ग़ियास रहमानी नाज़िम मुदर्रिसा दारुल-उलूम रहमानीह हैदराबाद ने किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह ताअला को वो बंदे बहुत ज़्यादा पसंद हैं, जो वक़्त पर पाबंदी के साथ नमाज़ें अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हम मुसलमानों को सच्ची तौबा और मसाजिद को आबाद करने की फ़िक्र करना चाहीए, ताके हमारे दिलों में अल्लाह की अज़मत बस जाये।

मौलाना वली उल्लाह क़ासिमी इमाम-ओ-ख़तीब मक्का मस्जिद निज़ामबाद ने कहा कि अल्लाह के फ़ज़ल से मस्जिद की तामीर मुकम्मिल होचुकी है, लिहाज़ा अब उसे आबाद करने की कोशिश करना चाहीए और अच्छे इमाम-ओ-मुअज़्ज़न के तक़र्रुर की फ़िक्र करना चाहीए। उन्होंने कहा कि इमाम हर एतेबार से अच्छा होना चाहीए और इमाम-ओ-मुअज़्ज़न को वक़्त पर तनख़्वाह अदा करना चाहीए। दोनों का अदब करें और मसाजिद को साफ़ सुथरा रखें। इस मौके पर मुफ़्ती फ़सीह उद्दीन निज़ामबाद, मौलाना अबिद अलरक़ीब बानसवाड़ा, हाफ़िज़ शेख़ एसी बानसवाड़ा के अलावा नुमाइंदा सियासत हाफ़िज़ मुहसिन बचकेंदा भी मौजूद थे। इस मौके पर एम पी टी सी और जैड पी टी सी क़ाइदीन की गुलपोशी की गई और सब ने ख़ुशी का इज़हार करते हुए मुबारकबाद पेश की। मेहमानों का इस्तेक़बाल शेख़ अहमद, शेख़ इक़बाल और फ़हीम अबिद अलबारी ने किया। इस मौके पर ग़ैर मुस्लिम भाईयों ने शिरकत और मुबारकबाद पेश की।