मस्जिद मियां मश्क पुराना पुल की अराज़ी पर नाजायज़ क़ब्ज़ा बर्ख़ास्त

हैदराबाद का पुराना पुल एक ऐसा मुक़ाम है जिस के बारे में हर कोई अच्छी तरह जानता है कि ये भी नए पुल, मुस्लिम जंग पुल और चादर घाट पुलों की तरह एक पुल है। इस के अतराफ़ और अकनाफ़ हिंदू आबादी की अक्सरीयत है लेकिन मुसलमानों की मौजूदगी से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

यहीं एक 450 साला क़दीम मस्जिद मियां मश्क है जहां गुज़िश्ता 2 माह से मस्जिद की अराज़ी पर एक ग़ैर मुस्लिम शख़्स प्लास्टिक और बंबूओं की बुनियाद पर एक आरिज़ी दूकान डाल कर तसावीर फ़रोख़्त कर रहा था और मस्जिद कमेटी ने भी इस मुआमला पर बिलकुल चुप्पी साध रखी थी लेकिन मुक़ामी अफ़राद ख़ामूश नहीं रह सके।

उन्हों ने उस की इत्तिला वक़्फ़ बोर्ड को दी जिस के बाद वक़्फ़ बोर्ड के स्पेशल ऑफीसर जलाल उद्दीन अकबर ने टास्क फ़ोर्स टीम को रवाना किया और उस शख़्स को बताया गया कि इस तरह मस्जिद की अराज़ी पर नाजायज़ क़ब्ज़ा करते हुए वो देवी देवताओं की तसावीर फ़रोख़्त नहीं कर सकता।

लिहाज़ा बेहतर यही होगा कि वो ख़ुद आगे आकर अपनी आरिज़ी दूकान को बर्ख़ास्त करदे और अल्हम्दुलिल्ला हुआ भी कुछ ऐसा ही! उस शख़्स ने ख़ुद अपने हाथों से अपनी आरिज़ी दूकान को बर्ख़ास्त कर दिया।

शायद इस का ये ख़्याल था कि देवी देवताओं की तसावीर फ़रोख़्त करने की वजह से वक़्फ़ बोर्ड ने इस के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है जबकि हक़ीक़त ये है कि मस्जिद की अराज़ी से नाजायज़ क़ब्ज़ा को बर्ख़ास्त किया गया है और वो भी इंतिहाई मुहतात अंदाज़ में क्योंकि ज़रा सा इश्तिआल इस पूरे मुआमला को फ़िर्कावाराना रंग भी दे सकता था।

बहरहाल जलाल उद्दीन अकबर साहब ने मस्जिद मियां मश्क की अराज़ी पर नाजायज़ क़ब्ज़ा को बर्ख़ास्त करके वहां रहने वाले उन मुसलमानों की तशवीश और फ़िक्र को दूर कर दिया जो मस्जिद की अराज़ी पर गुज़िश्ता दो माह से जारी नाजायज़ क़ब्ज़ा से परेशान और बेचैन थे।———————- अबू ऐमल