महंगाई के बाद अब नाप तोल में भी हेराफेरी का बाज़ार गर्म

हैदराबाद।30 नवंबर ( सियासत न्यूज़) सारा सेमाज महंगाई और बढ़ती क़ीमतों से एक तरफ़ परेशान है तो वो दूसरी तरफ़ नाप तोल में अवाम को लुटने का बाज़ार भी उरूज पर है । महंगाई रिश्वतखोरी और मुसलसल बढ़ती क़ीमतों ने अवाम का जीना मुश्किल करदिया है । हालाँकि इस मसला पर क़ाबू पाने सरकारी अमला मौजूद है और महंगाई पर क़ाबू पाना हुकूमत का काम है लेकिन इन क़ीमतों के इव्ज़ फ़रोख़त होरही अशीया पर नज़र रखने मौजूदा महिकमा जब रिश्वतखोरी के दलदल में फंस जाय तो अवाम का क्या हाल होगा इस का अंदाज़ा लगाया जा सकता है । नाप तोल में शफ़्फ़ाफ़ियत और वज़न के पैमानेमुक़र्रर करने और इस की जांच केलिए तशकील करदा महिकमा लीगल मेट्रो लो जी में ही बदउनवानीयाँ उरूज पर हैं ।

बाज़ार में फ़रोख़त होने वाली हर वो चीज़ तरकारी से लेकर मलबूसात आहनी अशीया से लेकर सोना चांदी के जे़वरात और बड़े से बड़े कांटे का पैमाना मज़कूरा महिकमा की निगरानी में होता है कि किस शए केलिए कौनसा पैमाना और क्या मिक़दार को मुक़र्रर किया जाय । ताहम इन दिनों ये शिकायात आम हींका जिस महिकमा के सपुर्द निगरानी इसी महिकमा के तेहत चंद एजैंटस मुबय्यना तौर पर चलाए जा रहे हैं जो वज़न के पैमाना की तसदीक़ की ज़िम्मेदारी निभाते हैं । नाप तोल की सदाक़त इसी महिकमा की ज़िम्मेदारी है और ये भी ज़िम्मेदारी इस महिकमा काए कि बाज़ार में नाप तोल ठीक से जारी है या नहीं और वक़्तन फ़वक़्तन जांच करना भी महिकमा लीगल मेट्रो लो जी के ज़िम्मा है लेकिन ना ही वज़न और पैमाना की और ना ही इस के सदाक़त नामों की जांच की जा रही है ।

जिस से अवाम का नाक़ाबिल तलाफ़ी नुक़्सान होरहा है । बाज़ार में तरकारी से लेकर कोई तामीरी अश्या शादी ब्याह का सामान हो या फिर पैट्रोल डीज़ल किराना अश्या हो या दीगर कपड़ों से लेकर केरोसीन ऑयल तक के नाप तोप में कमी की शिकायत पाई जाती हैं । ताज्जुब की बात तो ये है कि नाप तोल की अश्या के वज़न की सही जांच आम तो आम ख़ास आदमी केलिए भी मुश्किल काम है चूँकि अगर किसी मुक़ामपर शिकायत की भी जाती है तो वो फ़ौरी वज़न पैमाने की तसदीक़ का सदाक़त नामा दिखा देता है । जबकि लीगल मेट्रो लो जी के महिकमा और आला ओहदेदारों पर ये इल्ज़ामातपाए जाते हैं कि इस महिकमा के तेहत जो लाईसैंस याफ़ता एजैंटस हैं इन से महिकमा के अफ़िसरों का मुबय्यना तौर पर साज़ बाज़ है जो अपनी मर्ज़ी से सदाक़त नामा की सिद्दीक़करदेते हैं जिस से अवाम का ग़ैर तलाफ़ी नुक़्सान होरहा है ।

अब जब कि शादी ब्याह का सीज़न ज़ोर-ओ-शोर पर हैं एक ऐसे वक़्त मलबूसात घरेलू अश्या अश्या-ए-ज़रुरीया और बिलख़सूस सोने की ख़रीदारी उरूज पर रहती है । ताहम शहरीयों केलिए इस बात काअंदाज़ा करना मुश्किल है कि वो जो क़ीमत अदा कररहे हैं इस की सही मिक़दार में उन्हें क़दर हासिल होरही है या नहीं । अगर किसी दूकान पर एक हज़ार या फिर पाँच सौ रुपय का नोट दिया जाय तो पहले दूकानदार उस की जांच करता है और बाद में इस के बदलअश्या देता है लेकिन जब शहरी की जानिब से दी जा रही नोट (करंसी) की जांच की जा सकती है तो फिर अश्या के नाप तोप की जांच क्यों नहीं ? । आख़िर क्यों शहरीयों में नापतोल के पैमाने को आम नहीं किया जाता हर दूकान पर जैसे करंसी के जाली नंबरात की फ़हरिस्त लगाई जाती है इस तरह नाप तोप के पैमाने की तसदीक़ करने चार्ट क्यों नज़र नहीं आते ।

इस ताअल्लुक़ से कंट्रोलर लीगल मेट्रो लो जी से रब्त पैदा करने पर उन्हों ने अपने आप को काफ़ी मसरूफ़ ज़ाहिर किया और जब डिप्टी कंट्रोलर से रब्त पैदा किया गया तो उन्हों ने अपनी काफ़ी मस्रूफ़ियत को ज़ाहिर करते हुए इस मसला पर बात नहीं की आया महिकमा लीगल मेट्रो लो जी के यहां इस नाप तोल के पैमानों की जांच का क्या तरीका-ए-कार है और ऐसे कितने एजैंटस है जिन्हें नाप तोल की ज़िम्मेदारी देते हुए महिकमा ने लाईसैंस जारी किया और अवामी शिकायतों पर महिकमा का क्या रद्द-ए-अमलरहा है जबकि शहर हैदराबाद के बेशतर मार्किटों में नाप तोल में कमी की शिकायत आम और सोने जैसी क़ीमती धात का मसला इंतिहाई हस्सास है और तशवीशनाक बात तो ये है कि आख़िर इस मसला पर क़ाबू पाने के इक़दामात नज़र नहीं आते ।