महाराष्ट्र में ओवैसी और प्रकाश आंबेडकर की पार्टी मिलकर लड़ेंगी चुनाव

मुंबई: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में दो पार्टियों के बीच गठबंधन होने जा रहा है. ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन(एआईएमआईएम) और भारिपा बहुजन महासंघ (बीबीएम) 2019 में लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए एक गठबंधन बनाएंगे. एआईएमआईएम प्रमख असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि दोनों पार्टियों के बीच आरंभिक बातचीत में सकारात्मक परिणाम आए हैं.

एआईएमआईएम चीफ औवेसी ने कहा, ” प्रकाश आंबेडकर जी (बीबीएम प्रमुख) 2 अक्टूबर को औरंगाबाद में जनसभा को संबोधित करेंगे, जिसमें मैं भी उपस्थित रहूंगा. गठबंधन का औपचारिक ढांचा बाद में घोषित किया जाएगा.

औरंगाबाद से एआईएमआईएम विधायक इम्तियाज जलील ने कहा कि गठबंधन का विचार 70 सालों से उपेक्षित दलितों, मुस्लिमों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को साथ लाना है. इनका राजनीति में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है और इनका उपयोग वोट बैंक की तरह किया जाता है. जलील ने बताया, ” यह सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के लिए शर्म की बात है कि महाराष्ट्र से संसद में मुस्लिम समुदाय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. हर कोई उनका वोट चाहता है, लेकिन प्रतिनिधित्व कोई नहीं देना चाहता. यही स्थिति दलितों की भी है.”

पूर्व विधायक और बीबीएम के नेता हरिभाऊ भाले ने कहा कि दलित, मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग मुख्यधारा की पार्टियों से परेशान हैं. इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा कि एआईएमआईएम-बीबीएम गठबंधन एक प्रयोग है जो प्रभावशाली नहीं होगा.

एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, ”नांदेड़ में पिछले वर्ष इन प्रयोगों को खारिज कर दिया गया था.”
मलिक ने दावा किया,” नांदेड़ में लोगों ने एआईएमआईएम और भंडारा-गोंदिया में बीबीएम को क्यों खारिज किया. इस तरह के प्रयोग कोई राजनीतिक फायदा नहीं दे सकते है क्योंकि लोग जानते है कि क्या करना है. वे भाजपा और शिवसेना के एक विकल्प को प्राथमिकता देंगे. किसी की भी प्रयोगों में रूचि नहीं है. राज्य में यह गैरप्रभावी रहेगा.”

कांग्रेस ने आंबेडकर के एआईएमआईएम से हाथ मिलाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, ”यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आंबेडकर एआईएमआईएम जैसी एक सांप्रदायिक पार्टी के साथ जा रहे है. एआईएमआईएम एक ऐसी पार्टी है जो बीजेपी द्वारा समर्थित है और अपना एजेंडा चलाती है. आंबेडकर जी का खुद को इस तरह की पार्टी के साथ जोड़ना दुखद है.”