माओसटों का बातचीत की पेशकश पर रद्द-ए-अमल नहीं : रमेश

झारखंड, 31 दिसम्बर: माओनवाज़ों ने मर्कज़ की तरफ‌ से ग़ैरमशरूत बातचीत की पेशकश पर ख़ामोशी इख़तियार कर रखी है क्योंकि वो जमहूरीयत को नहीं मानते हैं, मर्कज़ी वज़ीर जय‌ राम रमेश ने आज ये बात कही।

हम ने कई मर्तबा बातचीत की पेशकश करते हुए उन से कहा है कि असल धारे में शामिल होजाएं। हत्ता कि पी चिदम़्बरम ने उन से ग़ैरमशरूत बातचीत को क़बूल कर लेने की अपील की, रमेश ने जो मर्कज़ी वज़ीर देही तरकियात हैं, माओसटों के असर वाले इस मौज़ा में जल्सा-ए-आम को ये बात बताई।

उन्होंने कहा, ये अफ़सोसनाक है कि कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन कोई ताज्जुब नहीं है क्योंकि वो जमहूरीयत, दस्तूर, इंतिख़ाबात पर यक़ीन नहीं रखते हैं, लेकिन हम तमाम के लिए ये चीज़ें मुक़द्दम हैं, और उनकी हिफ़ाज़त करना हमारी ज़िम्मेदारी है। अब ये एक नफ़सियाती लड़ाई है और हम इसे क़तई तौर पर जीतने के लिए आप का तआवुन चाहते हैं।

आप के बगै़र हम कामयाबी नहीं पा सकते हैं, रमेश ने देहातियों से इस के साथ मज़ीद कहा कि उन्होंने नौ रियास्तों में नक्सलाइटस से मुतास्सिरा 82 के मिनजुमला 36 अज़ला का दौरा किया। उन्होंने कहा कि मर्कज़ की तरफ‌ से तरक़्क़ीयाती फ़ंडज़ भेजे जा रहे हैं और रियास्ती हुकूमतों की ज़िम्मेदारी है कि उनको शफ़्फ़ाफ़ियत, जवाबदेही के साथ और मुकम्मल तौर पर ख़र्च किया करें।

ये बयान करते हुए कि माओसटस अपने नज़रिये को फ़रामोश करते हुए जबरी वसूली पर उतर आए हैं, रमेश ने सियासी जमातों से अपील की कि उन्हें ग़रीबों और क़बाइलीयों का इस्तिहसाल करने का कोई मौक़ा फ़राहम ना होने दें।