मानव अधिकारों के उल्लंघन की कीमत पर भी इस्राइल के यहूदी मेजॉरिटी का बचाव होगा : इस्राइली न्याय मंत्री

तेल अबिब : इज़राइल के न्याय मंत्री आयलेट शेकड ने एक भाषण में कहा है कि इस्राइल को मानव अधिकारों की कीमत पर भी एक यहूदी लोगों की रक्षा करनी चाहिए, कानूनी रूप से इसराइल को “यहूदी लोगों के राष्ट्रीय घर” के रूप में पहली बार परिभाषित किया जाएगा। आयलेट शेकड ने कहा कि इजरायल को एक यहूदी मेजॉरिटी और लोकतंत्र दोनों को बनाए रखना चाहिए, परन्तु जोर देकर कहा कि राज्य के यहूदी चरित्र को बनाए रखने से मानव अधिकारों के उल्लंघन इस बीच आ सकता है।

इजरायल के मीडिया समाचार में सोमवार को तेल अवीव में एक सम्मेलन में कहा, “मनवा अधिकारों के उल्लंघन के मूल्य पर भी यहूदी बहुमत बनाए रखने के लिए जगह है।” दूरदराज के Jewish Home party के एक सदस्य आयलेट शेकड ने अपने भाषण में तथाकथित यहूदी राष्ट्र-राज्य विधेयक का बचाव किया, जो कि पहली बार यहूदी लोगों के राष्ट्रीय घर के तौर पर इज़रायल को संवैधानिक रूप से परिभाषित करेगा।

आयलेट शेकड ने बोली “एक यहूदी राज्य के रूप में इजरायल राज्य का चरित्र बनाए रखा जाना चाहिए, और यह कभी-कभी समानता की कीमत भी सामने आता है,” , जैसा कि इज़राइल के हरेत्ज़ अख़बार ने बताया था। आयलेट शेकड ने कहा कि इज़राइल को समान नागरिक प्रशासन चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय अधिकार नहीं। “इजरायल एक यहूदी राज्य है, यह सभी राष्ट्रों का राज्य नहीं है। इसमें सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार हैं लेकिन समान राष्ट्रीय अधिकार नहीं हैं।”

बिल में कहा गया है कि “इस्राएल के राज्य में राष्ट्रीय आत्मनिर्धारित करने का अधिकार यहूदी लोगों के लिए अद्वितीय है”। यह एक आधिकारिक भाषा से अरबी को “विशेष स्थिति” के साथ एक भाषा में भी अवगत करता है, भले ही यह राज्य के लगभग 1.7 मिलियन फिलीस्तीनी नागरिकों की मातृभाषा है।

गौरतलब है की इजरायली कैबिनेट ने विवादास्पद ‘राष्ट्रीयता विधेयक’ को मंजूरी दे दी है जो इजरायल को यहूदी लोगों का राष्ट्र-राज्य करार देता है और जिसमें अरबी को औपचारिक भाषा के रूप में रद्द कर दिया गया है। इस विधेयक को कानून की मंत्रिस्तरीय समिति से मंजूरी मिली है। लेकिन, इसे कानून बनने के लिए अभी इजरायली संसद में तीन चक्र के मतदान से गुजरना होगा। विधेयक के आलोचक इसे पक्षपातपूर्ण और नस्लीय बता रहे हैं। इसमें अरबी की एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता को खत्म करने और हिब्रू को इजरायल की एकमात्र औपचारिक भाषा घोषित करने का प्रावधान है।

इसमें यह भी कहा गया है कि ‘इजरायल यहूदी लोगों का राष्ट्रीय घर है और इजरायली राज्य में आत्मनिर्णय के अधिकार का अहसास यहूदी लोगों के लिए विशिष्ट है।’ यह विधेयक सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी के सांसद अवि डिचटर ने पेश किया।

कानून की मंत्रिस्तरीय समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष यारिव लेविन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह बुनियादी कानून है, जिसका सीधा-सीधा उद्देश्य यहूदी लोगों के लिए इजरायल की बतौर एक राष्ट्र-राज्य के रूप में रक्षा करना है। मुङो समझ में नहीं आता कि यह अभी तक कानून क्यों नहीं बना है।’’

अरब और वामपंथी सांसदों ने विधेयक का विरोध किया था। उनका कहना है कि इसे मंजूरी मिलने का अर्थ इजरायल के लोकतांत्रिक स्वरूप को क्षति पहुंचाना है जिसकी आबादी का 20 फीसदी हिस्सा अरबी लोगों का है। लिबरल मेरेत्ज पार्टी की अध्यक्ष जेहावा गेलोन ने कहा कि यह विधेयक इजरायल के अरबी अल्पसंख्यकों के खिलाफ युद्ध के ऐलान के समान होगा और कानून के क्षेत्र में नस्लीय एवं पक्षपातपूर्ण कार्रवाइयों का रास्ता खोल देगा।

अदालह समूह जो इजरायल के फिलीस्तीनी नागरिकों के लिए एक कानूनी केंद्र है, उसने कहा कि, क्योंकि बिल इजरायल में एक मूल कानून बन जाएगा, जो संवैधानिक रूप से बाध्यकारी होगा। “इस्राएल के गैर-यहूदी नागरिकों के विरूद्ध कानून के माध्यम से व्यापक भेदभाव का इस्तेमाल किया जा सकता है” इस कारण से यह बेहद खतरनाक है।

यह बिल राज्य के सभी नागरिकों के लिए भी मजबूर करता है, उनके धर्म की परवाह किए बिना, यहूदी नागरिक कानून का पालन करने के लिए, बिना कानूनी मिसाल के। कानून “स्पष्ट रूप से गैर-यहूदी, फ़िलिस्तीनी अरब अल्पसंख्यक को द्वितीय श्रेणी के नागरिकों की स्थिति के लिए निंदा करता है”।