मुंशी प्रेमचंद के नाम के बगैर साहित्य की दुनिया पुरी नहीं होती

मुंशी प्रेमचंद प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता के रूप में सुधी संपादक भी थे।

मुंशी प्रेमचंद के नाम के बगैर साहित्य की दुनिया पुरी नहीं होती। मुंशी प्रेमचंद एक ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने ने अपने कलम से समाज की सभी परिस्थितियों को उजागर किया। एक लेखक के हैसियत से उन्होंने जो जो कुछ भी दुनिया के लोगों के सामने रखा, वो ज्यादातर समाज में गुजरते हालात थे। वो एक ऐसे उपन्यासकार थे जिनके कलम से समाज को बहुत कुछ मिला। उन्होंने जो कुछ भी लिखा वो सब समाज की जटिल परिस्थितियां थी। उनके मशहूर उपन्यासों में ईदगाह, गबन, ठाकुर का कुंआ, गोदान, कफन इत्यादि है। ठाकुर का कुंआ जैसे उपन्यास ने समाज के उन परिस्थितियों को उजागर किया जो इंसान को समाजिक हक़ से महरूम कर दिया जाता है। एक स्वर्ण जाती के लोगों का दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों पर समाजिक जुल्मों पर रौशनी डालता हुआ उपन्यास है। उन्होंने अपनी आखिरी उपन्यास गोदान के जरिए समाज में जबर्दस्त सच्चाई को रखा। गोदान के जरिए समाज में लोगों को बताया कि हमारी समाजिक परिस्थितियां क्या है।

अब्दुल हमीद अंसारी (लेखक)