मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने RSS के एजेंडे को लागू करने की दिशा में बढ़ाया कदम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अपने मंत्रिमंडल में मंत्रियों के विभागों का बटवारा तो बुधवार शाम को ही कर दी है, लेकिन विभागों के बंटवारे की सबसे खास बात यह रही कि भाजपा और आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग दिए गए, जिसके बाद से यह चर्चा आम हो गई है कि मुख्यमंत्री योगी ने आरएसएस के एजेंडे को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. इतना ही नहीं आरएसएस ने मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को काफी संतुलित बताया है. योगी कैबिनेट में संघ कैडर के मंत्रियों को काफी पसंद किया गया.

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अगर ध्यान से देखा जाए तो विभागों के बटवारे में दो बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है. एक तो भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को लागू करने वाले मंत्री और दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रशासनिक कर्मचारियों में तेजी लाने वाले विभाग दिए गए हैं. साफ है भाजपा और आरएसएस कैडर के मंत्रियों के जिम्मे आरएसएस एजेंडे को लागू करवाना है. उदाहरण स्वरूप आरएसएस का एक महत्वपूर्ण एजेंडा शिक्षा का भगवाकरण रहा है, इसके लिए आरएसएस के करीबी उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग दिया गया है. उनकी मदद के लिए आरएसएस की महिला विंग अनुपमा जायसवाल को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है.

इसी तरह से प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के एजेंडे वाले विभागों में केशव मौर्य को निर्माण विभाग, सूर्य प्रताप शाही को कृषि, सुरेश खन्ना को संसदीय कार्य विभाग, गन्ना भुगतान को चुनावी मुद्दा बनाने पर पश्चिमी यूपी से ही कामयाब हुए सुरेश राणा को गन्ना, श्रीकांत शर्मा को बिजली, धर्मपाल को सिंचाई, सिद्धार्थ नाथ सिंह को स्वास्थ्य, राजेश अग्रवाल को वित्त और रमापती शास्त्री को समाज कल्याण विभाग दिए गए हैं.

वहीं दूसरे दलों से आकर मंत्री बने विधायकों को सिस्टम में तेजी लाने वाले विभाग दिए गए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य को श्रम और रोजगार और गरीबी उन्मूलन, ब्रजेश पाठक को विधि एवं न्याय, रीता बहुगुणा जोशी को महिलाओं के कल्याण, परिवार कल्याण, माताओं और बच्चों के कल्याण, पर्यटन, वहीँ दारा सिंह चौहान को वन व पर्यावरण, चिड़ियाघर, बागवानी, ओमप्रकाश राजभर को पिछड़ों के कल्याण, विकलांगों के विकास आदि विभाग दिए गए हैं.