साबिक़ सुप्रीम कोर्ट जज ए के गंगोली पर मग़रिबी बंगाल हियूमन राईट्स कमीशन के सरबराह की हैसियत से इस्तीफ़ा देने के दबाव में इज़ाफ़ा होगया है क्योंकि ऐडीशनल सॉलीसिटर जेनरल इंदिरा जय सिंह जिन्सी हिरासानी का शिकार ज़ेर-एतरबियत ख़ातून के एक हल्फ़नामा को मंज़र-ए-आम पर ले आई हैं।
मुतास्सिरा ख़ातून ने जिन्सी हिरासानी का तज़किरा किया है। ये हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के तीन रुक्नी जज की कमेटी में पेश किया गया है जिस का क़ियाम रिटायर्ड जज की जानिब से अपनी ज़ेर-एतरबियत जूनियर की जिन्सी हिरासानी के वाक़िया और आइद करदा इल्ज़ामात का जायज़ा लेने केलिए क़ायम की गई है।
गंगोली के नाम एक खुले मकतूब में इंदर अजय सिंह ने उनसे सवाल किया है कि अगर उनकी बेटी के साथ ऐसा होता तो उनका क्या रद्द-ए-अमल होता? खुला मकतूब यहां के एक क़ौमी रोज़नामा में शाय हुआ है जिस में इंदर अजय सिंह ने हल्फ़नामा के कुछ सतर भी शाय किए हैं। यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि इंदर अजय सिंह ने वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह को भी एक मकतूब तहरीर किया था जहां उन्होंने मांग किया था कि गंगोली को मग़रिबी बंगाल के हियूमन राईट्स कमीशन के सरबराह की हैसियत से फ़ौरी बर्ख़ास्त किया जाये।
इन्दर अजय सिंह ने हल्फ़नामा के सतर की तशहीर(प्रचार) के अमल को कानूनी क़रार दिया और कहा कि ये मुआमला कमीशन की कारकर्दगी से मरबूत है। इन्दर अजय सिंह के मुताबिक़ ये मुआमला सिर्फ़ इस ख़ातून तक (जिस ने हल्फ़नामा जमा करवाया है) महदूद नहीं है बल्कि ये मग़रिबी बंगाल हियूमन राईट्स कमीशन की कारकर्दगी से मरबूत है और यही वजह है कि उन्होंने (इंदर) हल्फ़नामा के इक़तिबासात को मंज़र-ए-आम पर लाने का फ़ैसला किया।
अजय सिंह ने अपने मकतूब में इन हालात का तफ़सीली जायज़ा पेश किया है कि किसी तरह ज़ेर-एतरबियत ख़ातून जिन्सी हिरासानी का शिकार हुई। इस तरह इंदर अजय सिंह के मकतूब ने गंगोली की बर्ख़ास्तगी के मुतालिबा में शिद्दत पैदा करदी है जहां मर्कज़ी वज़ीर कपिल सिब्बल ने भी गंगोली के इस्तीफ़ा का मुतालिबा किया जबकि मग़रिबी बंगाल में हुक्मराँ जमात तृणमूल कांग्रेस एहतिजाज करने में सब से आगे है।
यहां तक कि वज़ीर-ए-आला ममता बनर्जी ने भी सदर जम्हूरिया परनब मुखर्जी को दो बार मकतूब तहरीर करते हुए जस्टिस गंगोली की बर्ख़ास्तगी का मुतालिबा किया था। कोलकता में हियूमन राईट्स कमीशन के दफ़्तर के बाहर भी एहितजाजियों ने जमा होकर गंगोली के इस्तीफ़ा का मुतालिबा किया। एक एहितजाजी ने कहा कि हम अपना एहतिजाज उस वक़्त तक जारी रखेंगे जब तक गंगोली अपने ओहदा से मुस्ताफ़ी नहीं होजाते। दूसरी तरफ़ गंगोली ने इस मुआमला में दिफ़ाई मौक़िफ़ इख़तियार कर रखा है और किसी भी तबसरा से गुरेज़ कररहे हैं।