मुसलमानों के कमीशन आफ़ इन्क्वारी के साथ हुकूमत का सौतेला सुलूक

हैदराबाद 12 दिसंबर: अक़लियतों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के मसले पर सर्वे के काम में मसरूफ़ कमीशन आफ़ इन्क्वारी की ज़बूँहाली के बारे में सियासत में ख़बर की इशाअत के बावजूद हुकूमत नहीं जागी और दूसरी तरफ़ दर्ज फ़हरिस्त क़बाईल के लिए क़ायम करदा कमीशन आफ़ इन्क्वारी का भी यही हाल सामने आया है।

हुकूमत ने मुसलमानों और दर्ज फ़हरिस्त क़बाईल के लिए 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का वादा किया था और इस सिलसिले में दो अलाहिदा कमीशन आफ़ इन्क्वारी क़ायम किए गए। बताया जाता हैके मुसलमानों के कमीशन आफ़ इन्क्वारी के साथ हुकूमत का जो सुलूक है वही हाल एसटी कमीशन आफ़ इन्क्वारी का है। वहां के सदर नशीन और अरकान भी क़ियाम के बाद से आज तक ना सिर्फ तनख़्वाहों से महरूम हैं बल्कि कमीशन को बुनियादी सहूलतें फ़राहम नहीं की गईं।

दिलचस्प बात ये हैके आला ओहदेदार इस बारे में तवज्जा दहानी पर ज़िम्मेदारी चीफ़ मिनिस्टर के दफ़्तर पर डाल रहे हैं। उनका कहना है के मुताल्लिक़ा फाईल चीफ़ मिनिस्टर की मंज़ूरी की मुंतज़िर है। दोनों कमीशनों के सदर नशीन और अर्कान-ए-हुकूमत की अदम तवज्जही के बावजूद पूरी संजीदगी के साथ ख़िदमात जारी रखे हुए हैं। बताया जाता हैके मुसलमानों से मुताल्लिक़ सुधीर कमीशन की तनख़्वाहों और दुसरे सहूलतों से मुताल्लिक़ फाईल महिकमा फाइनैंस में ज़ेर अलतवा है।

इसी दौरान एक और अफ़सोसनाक पहलू मंज़र-ए-आम पर आया कि सुधीर कमीशन के लिए शुक्र भवन में जो इमारत अलाट की गई इस में लिफ़्ट तो मौजूद है लेकिन वो ग़ैर कारकरद है जिसके नतीजे में पिछ्ले छः माह से सदर नशीन, अरकान और ओहदेदारों के अलावा आम अफ़राद को सीढ़ीयों के ज़रीये दूसरी मंज़िल तक पहुंचना पड़ रहा है।

ज़ईफ़ अफ़राद के लिए दूसरी मंज़िल तक सीढ़ीयों के ज़रीये पहुंचना इंतेहाई तकलीफ़-दह है। ख़ुद कमीशन के ज़िम्मेदार भी बार-बार इस मशक़्क़त को बर्दाश्त करने के मौक़िफ़ में नहीं हैं लेकिन ओहदेदारों को उनकी हालत पर कोई रहम नहीं आरहा है।