मुसलमानों के खिलाफ ऐतिहासिक गलतियों के सुधार की जरूरत

नई दिल्ली: वर्ल्ड सूफी सुप्रीम फोरम ने आज सरकार से आग्रह किया कि मुसलमानों के खिलाफ  “ऐतिहासिक हिमालयी गलतियों”  का सुधार किया जाये और शिक्षा के क्षेत्र में हर स्तर पर सूफ़ीवाद लेख शामिल किया जाए। चार दिवसीय विश्व सूफी मंच बैठक के अंतिम दिन रामलीला मैदान पर संबोधित करते हुए प्रख्यात सूफी हजरत सैयद मोहम्मद अशरफ ने कहा कि पिछले कुछ दशकों से सूफी आंदोलन को भारत में कमजोर करने के प्रयास जारी हैं और इसके बदले कट्टरपंथ और उग्रवाद के सिद्धांत को दिए जाने की कोशिश की जा रही है।

संस्थापक अध्यक्ष अखिल भारतीय उलेमा और मशाईख बोर्ड ने कहा कि हाल के साधन केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं बल्कि खुद पूरे देश के लिए खतरनाक है। अखिल भारतीय उलेमा और मशाईख बोर्ड ने इस चार दिवसीय समारोह का आयोजन किया है। संस्थापक अध्यक्ष बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि इन ऐतिहासिक हिमालयी गलतियों का सुधार किया और भारत में सूफ़ीवाद के लाखों अनुयायियों(Followers) की मांग पूरी की जाए।

उन्होंने गृह मंत्रालय से मांग की है कि छोटे और बड़े सांप्रदायिक घटनाओं के बारे में जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में पेश आए हैं अपने कदम समझाओ। मौलवी अशरफ ने आशंका जताई कि विभिन्न अल्पसंख्यक संस्थानों में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को सूफीवाद की परंपरा में विश्वास है।

वे चाहते हैं कि आबादी के अनुपात में उन्हें विभिन्न संस्थानों जैसे केंद्रीय वक्फ परिषद ‘राज्य समर्पित बोर्डस’ केंद्रीय एवं राज्य हज समितियों और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम में प्रतिनिधित्व दिया जाए। अखिल भारतीय उलेमा और मशाईख बोर्ड भारत में सूफियों दो सबसे बड़े संगठन है जिसने 25 सूत्री घोषणा पत्र इस अवसर पर उजागर किया है।

अखिल भारतीय उलेमा और मशाईख बोर्ड ने सरकार से अपील की कि सूफी यूनीवर्सिटी की स्थापना की जाए जिसे सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज के नामित किया जाये। उन्होंने कहा कि एक केंद्रीय सूफी संगठन नई दिल्ली में और सभी राज्य की राजधानियों में स्थापित की जाएं ताकि सूफी साहित्य ‘सूफ़ी संस्कृति और सूफी संगीत को बढ़ावा दिया जा सके।

सूफी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि एक सूफी गलियारे स्थापित किया जाना चाहेए जो देश के सभी दरगाहों को कनेक्ट करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व सूफी मंच के शीर्ष बैठक को संबोधित करते हुए इस्लाम धर्म और सूफ़ीवाद की भरपूर प्रशंसा की थी और कहा था कि इस्लाम शांति और सद्भाव का धर्म है और सूफ़ीवाद का नूर वर्तमान अंधेरी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है।