मुसलमानों को रिजर्वेशन की तहरीक में शोअरा बिरादरी की शमूलीयत से इस्तिहकाम

हैदराबाद 30 मई: मुस्लिम रिजर्वेशन की तहरीक का मक़सद तेलंगाना में आइन्दा दो बरसों में होने वाले तक़र्रुत में मुस्लिम नौजवानों को मुलाज़िमतें हासिल करने की राह फ़राहम करना है।

इदारा सियासत की इस तहरीक में शोअरा की शमूलीयत तहरीक को इस्तिहकाम बख़शने के बराबर है। आमिर अली ख़ान न्यूज़ एडिटर सियासत ने मौज़ू आती मुशायरा बउनवान मुस्लिम रिजर्वेशन से सदारती ख़िताब के दौरान ये बात कही। उन्होंने बताया कि अल्लाह उस क़ौम की हालत को नहीं बदलते जिस क़ौम को अपनी हालत के बदलने का ख़्याल ना हो। उन्होंने हदीस मुबारका के हवाले से बताया कि नबी अकरम (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया कि जो शख़्स अपने भाई के लिए बग़ैर किसी मुफ़ाद के कोई मदद करता है या उस के हक़ में दुआ भी करता है तो दो लाख फ़रिश्ते उस के हक़ में दुआगो रहते हैं।

आमिर अली ख़ान ने मुशायरे के इख़तेताम पर सदारती कलिमात के दौरान बताया कि तेलंगाना में चलाई जाने वाली ये तहरीक सियासी तहरीक नहीं है बल्के उस का मक़सद मुसलमानों की तरक़्क़ी को यक़ीनी बनाना है। उन्होंने कहा कि हर इन्क़िलाबी तहरीक में शारा-ए-का कलीदी किरदार रहा है और आज़ादी हिंद में भी उर्दू ज़बान और शायरी ने जो जज़बा पैदा किया है उसे फ़रामोश नहीं किया जा सकता। शहरे हैदराबाद के अलावा रियासत के दुसरे अज़ला में मुसलमानों में शऊर उजागर करने और उन्हें अपने हक़ के हुसूल के लिए तैयार करने में शोअरा अहम किरदार अदा कर सकते हैं।

महबूब हुसैन जिगर हाल में मुनाक़िदा इस मौज़ू आती मुशायरे में ज़ाइद अज़ 30 शारा-ए-को कलाम पढ़ने का मौक़ा फ़राहम किया गया और बेशतर शारा-ए-ने अपने कलाम पर दाद-ओ-तहसीन हासिल की। मज़ाहीया शायर चचा पालमोरी के कलाम को ख़ूब पसंद किया गया जिन्हों ने अपने मज़ाहीया अशआर के ज़रीये हुकूमत को तन्क़ीद का निशाना बनाया। उन्होंने अपने गीत के ज़रीये हुकूमत को मश्वरह दिया कि
बोला करते हो सौ-बार हम भी बराबर के हक़दार
मकर ना जाना केसीआर वर्ना पड़ेगी रब की मार
बारह बारह जपते हो करते हो फिर बंदरबांट
दीदीव हमको दस पर दो रुख़ लियो तुम इसी पौ आठ

प्रोफेसर मसऊद फ़राज़ की नज़म पर भी दाद-ओ-तहसीन हासिल हुई। उन्होंने हुकूमत से बी सी कमीशन की तशकील का मुतालिबा करते हुए कहा कि
सर फ़हरिस्त हैं पसमांदा तबक़ात में मुस्लिम
बहुत पीछे रहे हैं आज तक हर बात में मुस्लिम
हमें कोटा अता हो तो मिले छाओं तरक़्क़ी की
बहुत तपते रहे हैं गरमई हालात में मुस्लिम

मुहम्मद नूरुद्दीन अमीर के कलाम की भी सराहना की गई और बारहा उन्हें कलाम सुनाने का इसरार किया जाता रहा। उन्होंने मुतालिबात रिजर्वेशन के उनवान पर नज़म पेश की जिसमें कई अशआर को काफ़ी पसंद किया गया। उनके इन अशआर को ज़बरदस्त पज़ीराई हासिल हुई।
हम एहतेजाज की शमएँ जिला भी सकते हैं
हुकूमतों का दिया हम बुझा भी सकते हैं
हम अक़लियत हैं सदा बादशाह ग्रहों गे
हम इक़तिदार से तुमको हटा भी सकते हैं

नाज़िम मुशायरा अशफ़ाक़ असफ़ी के कलाम को भी ख़ासी दाद हासिल हुई और उनके अंदाज़ निज़ामत को भी पसंद किया गया।उन्होंने रिजर्वेशन के अनवान पर दो इन्क़िलाबी अशआर पढ़े।
चमक रहा है कि मदहम है ताज बोलेंगे
तुम्हारे दौर में कैसा है राज बोलेंगे
रिजर्वेशन का वादा किया था जो तुमने
रिजर्वेशन के बारे में आज बोलेंगे

इन अशआर को भी ख़ूब पसंद किया गया। रहीम रामिश ने में दो अलाहिदा नज़्में पेश कीं जिन्हें सामईन-ओ-शारा-ए-बिरादरी की तरफ से ख़ूब पसंद किया गया। उन्होंने अपने कलाम के ज़रीये सुधीर कमीशन की तशकील पर तन्क़ीद करते हुए कहा कि

तुमको सच्चर कमेटी ने ताक़त दिलाई थी
बदतर दलित से भी है हालत बताई थी
मिश्रा ने भी तो इस की हक़ीक़त जताई थी
फिर किस लिए सुधीर कमीशन बिठा दिया

डाक्टर हादी मुनज़्ज़ह के कलाम पर भी सामईन ने दाद दी । शफ़ी इक़बाल शकील हैदर यूसुफ़ रविष हलीम बाबर क़ारी अनीस अहमद कादरी शरफ़ी अनीस के कलाम को भी पसंद किया गया। साबिर काग़ज़ नगरी ने अपने कलाम के दौरान आमिर अली ख़ान को मुस्लिम रिजर्वेशन के रूह-ए-रवाँ क़रार देते हुए उनकी ख़िदमात की सताइश की। उन्होंने अपने कलाम के ज़रीये हुकूमत को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए कहा कि
करके वादा मुकर गए साहिब
सब के दिल से उतर गए साहिब
चार ही माह का था वो वादा
दिन यूं कितने गुज़र किए साहिब

ज़ाहिद हरियाणवी ज़फ़र फ़ारूक़ी हँसमुख हैदराबादी के कलाम की भी सराहना की गई। शोअरा ने हुकूमत को मश्वरह दिया कि दो बरस बीत चुके हैं अब तो वादा-वफ़ा किया जाये। कन्वीनर अली बिन सालिह लहमदी ने आख़िर में शुरका शोअरा सामईन और मुंतज़मीन से इज़हार-ए-तशक्कुर किया।