मुसलमानों पर फर्जी टेरर केस चिंता की बात है- पूर्व कानून मंत्री

अलीगढ़ में आयोजित ‘विकास पर्व’ में कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने आतंकी होने के गलत आरोपों और फिर उनके परिणामों को झेलने वाले मुसलमानों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। मंगलवार को हुए इस कार्यक्रम में सदानंद देवगौड़ा ने बताया कि गलत आरोपों की जद में आने वाले समुदाय विशेष के लोगों को बचाने के लिए कानूनी संशोधनों पर विचार हो रहा है।

करीब एक हफ्ते पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि सरकार आतंकी घटनाओं की जांच के दौरान पुलिस द्वारा सभी संदिग्धों पर आरोप लगाने के बजाय अधिक संवेदनशील तरीके अपनाने के पक्ष में है।

कानून मंत्री गौड़ा ने जानकारी दी कि सुधारों के लिए एक पैनल बनाया गया है और एक सुप्रीम कोर्ट के जज को इसका चेयरपर्सन बनाया गया है। संदेह के आधार पर गलत आरोपों का शिकार हुए मुसलमानों को उनकी बेगुनाही साबित होते-होते कई साल जेल में काटने पड़ जाते हैं और फिर वापस लौटने पर समाज और उन्हें, दोनों ही को एक-दूसरे को अपनाने में कठनाई होती है।

हाल ही में इस तरह का उदाहरण है कि बाबरी ब्लास्ट केस में आरोपी निसारुद्दीन अहमद का, जिन्होंने 23 साल जयपुर जेल में काटे और फिर उन्हें बरी कर दिया गया। मोहम्मद आमिर का भी मामला कुछ ऐसा ही है। 14 साल जेल में काटने के बाद उनके ऊपर लगे 19 में से 17 आरोपों में उन्हें निर्दोष पाया गया। आमिर को दिल्ली, रोहतक, पानीपत और गाजियाबाद में करीब 10 महीनों के अंतराल में अलग-अलग जगहों पर 20 कम क्षमता वाले बम प्लांट करने के आरोप में जेल में रखा गया था।