मुस्लिम बेदारी कारवां के जेरे एहतेमाम आल इंडिया मुशायरा

सर सैयद डे के मौके पर मदरसा जामिया कलयी घाट के मैदान में मुस्लिम बेदारी कारवां (बिहार की जानिब से) कल हिन्द मुशायरा का इंकाद किया गया। जिसकी सदारत साबिक़ मरकज़ी वज़ीर मोहम्मद आली अशरफ फातमी ने की। जबकि निजामत के फरायज़ मुश्तरका तौर पर मौलाना मतीन कासमी, जमील अख्तर शाफ़िक़ और इमरान परताप गढ़ी ने की। मुशायरा के आगाज में डॉक्टर अजीरुल हक़, बाही खान (डिप्टी मेयर) और सबगतुल्लाह ने मेहमानों का इस्तकबाल किया। जबकि कारवां के सदर नज़र आलम ने खुतबा इस्तक़बालिया पेश किया। इस मौके पर मोहम्मद आली अशरफ फातमी और मेहमान शोरा किराम में आलोक श्रीवास्तव, इमरान प्रताप गढ़ी के हाथों डॉक्टर अब्दुल मन्नान तर्जी के जरिये लिखी गयी और मंसूर खुशतर के जरिये तरतीब की गयी किताब मकतूबात बनाम तर्जी का उजरा भी अमल में आया।

इससे कबल अली अशरफ फातमी ने अपने सदारती खुतबा में कहा की अब शायर समझने वाले लोग कम हो गए हैं। तरन्नुम से पढ़ने वाले कलाम पर लोग दाद देते हैं जबकि शायर के लिए तरन्नुम की ज़रूरत नहीं होती है। उर्दू ज़ुबान गंगा जमनी तहज़ीब की अलामत और मजहबी तहज़ीब को समझने का जरिया है। इस लिए अपने बच्चों को उर्दू ज़ुबान की तालीम ज़रूर देनी चाहिए। मुशायरा के इंकाद में प्रोफेसर खादिम हुसैन, शम्स तबरेज खान, फख़रुद्दीन क़मर, जमाल नासिर, यासिर अरसलान खान के इलावाह दर्जनों लोग शामिल थे। मुशायरा पूरी रात बड़ी कामयाबी के साथ चलता रहा।