मुस्लिम लड़कियों को लड़कों के साथ तैराकी सीखना होगा: यूरोपीय अदालत

स्ट्रासबर्ग: मानव अधिकार के यूरोपीय अदालत के मुताबिक़ स्विस मुस्लिम बच्चियां लड़कों के साथ तैराकी सीखने से इनकार नहीं कर सकतीं। इस मामले में एक तुर्की मूल की मुस्लिम दंपति ने कहा था कि उसकी बेटियों का ऐसा करना उनके धार्मिक आस्था के खिलाफ है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

फ्रांस के शहर स्ट्रासबर्ग से मंगलवार दस जनवरी को मिलने वाली समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ECHR) ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि स्विट्जरलैंड की जिन मुस्लिम छात्राओं के अभिभावकों ने यह मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि वह स्कूल में अपनी बेटियों को लड़कों के साथ तैराकी सीखने की अनुमति नहीं दे सकते, उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।

इस तरह उच्चतम यूरोपीय अदालत ने एक तुर्की मूल की स्विस मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली इन छात्राओं के माता-पिता का यह रुख भी खारिज कर दिया कि इस परिवार का धर्म लड़कियों को लड़कों के साथ तैराकी सीखने की अनुमति नहीं है।

फ्रांस में यूरोपीय न्यायालय ने स्विस अधिकारियों के इस रुख को भी उचित ठहराया कि इन दोनों छात्राओं को उनके आस्था के आधार पर स्कूल में तैराकी के क्लास में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।इन बच्चियों के माता पिता का रुख था कि स्कूल में लड़कों के साथ तैराकी की अनिवार्य शिक्षा में भाग लेना उन छात्राओं के धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

एएफपी ने लिखा है कि स्विट्जरलैंड में हाल के वर्षों में कई मुस्लिम माता पिता को स्थानीय अधिकारियों की ओर से जुर्माना भी किए जा चुके हैं, क्योंकि वे अपनी बच्चियों को तैराकी की अनिवार्य शिक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी थी।

आपको बता दूँ कि स्ट्रासबर्ग की यूरोपीय न्यायालय ने मंगलवार को जिस मुकदमा को खारिज कर दिया, वह बाज़ल के रहने वाले तुर्की मूल स्विस निवासी अज़ीज़ उस्मान ओलो और उनकी पत्नी सबाहत कोचाबास ने दायर किया था।इस मुस्लिम दंपति ने अपनी जिन दो बेटियों को स्कूल में लड़कों के साथ स्विमिंग सीखने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, वह बाज़ल के एक स्थानीय स्कूल में पढ़ती हैं और उनकी उम्र दस साल से कम है।