* रैग्युलेट्री मेकेनिज्म और निसाब पर गौर करने की ज़रूरत, नैशनल अर्बन हेल्थ मिशन की तजवीज़ : मनमोहन सिंह
पडोचीरी / मेडीकल शिक्षा के मेयार पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहाकि एक असर दायक रैग्युलेट्री मेकेनिज़म बनाया जाना चाहीए और निसाब पर भी संजीदगी से ग़ौर किया जाए।
जवाहरलाल नहरू इंस्टीटियूट आफ़ पोस्ट ग्रैजूएट मेडीकल एज्युकेशन एंड रिसर्च के तीसरे कन्वेशन से बातचित करते हुए प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहाकि शिक्षा के मेयार में लगातार गिरावट आरही है और हम इस सूरत-ए-हाल को जारी रहने की इजाज़त नहीं दे सकते। हमें मेडीकल शिक्षा के मेयार में बेहतरी लाने की ज़रूरत है और इस के लिए असरदायक रैगूलेटरी निज़ाम और संस्था मेकेनिज़म तैयार किया जाना चाहीए।
उन्हों ने कहाकि मेडीकल शिक्षा के निसाब में संजीदगी के साथ गौर करने की ज़रूरत है। ताकि डॉक्टरों को इस तरह तैयार किया जा सके जो मेडिकल विभाग को अख़लाक़ी पहलूओं से समझें और सिर्फ महदूद तशख़ीसी टेक्नोलोजी वाला रवैय्या ना हो। डाक्टर मनमोहन सिंह का ये एहसास था कि लोगों की सेहत-ओ-ख़ुशहाली के मामले में मुल्क को संगीन चैलेंजों का सामना हैं।
मेडीकल विभाग के गौशवारे में छोटे बच्चें और गर्भवती महीलाओं की अधुरी सेहत और मौत कि बडती तादाद हमारे लिए चिंता का कारण हैं। सेहत और ख़ानदानी बहबूद के प्रोग्रामों पर कई दहों से अमल के बावजूद मुल्क को अब भी एक एसी सूरत-ए-हाल का सामना है जहां दो तिहाई सेहत के खर्च लोगों की पहुंच के बाहर हैं और उन खर्चों का बहुत बड़ा हिस्सा दवाओं पर ख़र्च होता है।
उन्हों ने कहाकि हुकूमत ने नैशनल रूरल हेल्थ मिशन को अगले पाँच साल जारी रखने का फ़ैसला किया है। इस के इलावा नए नैशनल अर्बन हेल्थ मिशन की तजवीज़ है जिस के ज़रीये टाउन और शहरों में सेहत से मुताल्लिक़ चैलेंजों पर ध्यान दिया जाएगा । उन्हों ने केन्द्रीय स्वास्थ मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद और दुसरों की मौजूदगी में ये एलान किया।
उन्हों ने कहाकि डॉक्टरों, नर्सों और पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनलों की कमी, यूनीवर्सल हेल्थ कवरेज में रुकावट बन रही है और ये सूरत-ए-हाल यही इलाक़ों खासकर मुल्क के शुमाल, मध्यम और पुर्वी इलाक़ों में संगीन है। एक हज़ार आबादी के लिए औसतन एक डाक्टर और एक डाक्टर के लिए तीन नर्सों के खिलाफ मुल्क में इस वक़्त दो हज़ार लोगों के लिए एक डाक्टर और हर दो डॉक्टरों के लिए तीन नर्स दस्तयाब हैं।