मोदी के नाम खुला ख़त: नजीब भी मां भारती का लाल है, कुछ तो मुंह खोलिए….

सेवा में
माननीय प्रधानमंत्री महोदय
आपने उत्तर प्रदेश के माहोबा में कहा था कि मुसलमान महिलाओं को न्याय दिलाना सरकार का फर्ज है, बेशक यह सरकार का फर्ज है और न सिर्फ महिलाओं को बल्कि पुरुषों को न्याय दिलाना भी सरकार का फर्ज है, सरकार का यह फर्ज सिर्फ मुसलमानों के प्रति ही नहीं बनता बल्कि देश के हर एक नागरिक के लिये बनता है।

जब आपका यह बयान आया तब लगा कि आप सचमुच मुस्लिम महिलाओं के लिये फिक्रमंद हैं। लेकिन मिस्टर प्राईममिनिस्टर मेरी नजरों के सामने से दो मुस्लिम महिलाओं के हटते ही नहीं, जिसमें एक चेहरा उस मां का है जिसका बेटा 12 दिन से लापता है और दूसरा चेहरा है झारखंड के मिनहाज अंसारी की पत्नि का जिसके पति को गौआतंकियों के साथ मिलकर पुलिस ने मार हवालात में मार दिया था।

जब मैं गौआतंकियों की तरफ देखता हूं तो जुल्म बर्बरियत के साथ अखलाक की बूढ़ी मां की तस्वीर भी मेरी नजरों के सामने आ जाती है। और फिर जहन में आता है आपका वह बयान जिसमें आपने कहा था कि 80 प्रतिशत गोरक्षक गोरखधंधा करते हैं।

मिस्टर प्राईम मिनिस्टर महोदय यह सभी को मालूम है गोरक्षक गोरखधंधा करते हैं और सोने पर सुहागा यह कि यह बात खुद आपने कही है किसी ‘आमिर’ ने नहीं तो उसे पाकिस्तान का रास्ता दिखाया जाता। बहरहाल जब आपको मालूम है कि गाय के नाम पर आतंक फैलाया जा रहा है तो फिर आपकी सरकार ने कोई कार्वाई क्यों नहीं की ?

आप हर बात पर ट्वीट करते हैं मगर आपने मिनहाज की लाश देखकर उसकी आठ महीने की बेटी को देखकर भी कोई ट्वीट नहीं किया। हालांकि आपके ट्वीट कर देने से मिनहाज जिंदा तो नहीं होता लेकिन इस देश की एक बहुत बड़ी आबादी को यह जरूर अहसास होता कि मुसलमानों का दर्द कभी कभी सीने में हो जाता है।

दादरी के आरोपी की स्वाभाविक मौत पर भी आपकी पार्टी के मंत्री ने आरोपी की पत्नि को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद की थी। मगर झारखंड में तो आपकी सरकार है, सरकार के साथ गठबंधन जैसी बैसाखी भी नहीं हैं।

फिर भी आपने आंखें मूंद रखीं हैं ? आप बार बार यह तो कहते हैं कि मुसलमान देशभक्त है, उन्हें पुरुस्कृत करने की जरूरत नहीं है बल्कि परिस्कृत करने की जरूरत है। लेकिन आये दिन योजना बनाकर होने वाले हमलों पर आप जबान नहीं खोल पाते और न ही कोई कार्रावाई कर पाते। आखिर यह कैसी मजबूरी है ?

अब दिल्ली की तरफ आता हूं ऐसा नहीं है कि आपको यह जानकारी नहीं होगी कि JNU का एक छात्र नजीब को गायब हुऐ आज 12 दिन हो गये मगर क्या वजह है कि आपकी चुप्पी अभी तक नहीं टूट पाई ? मैं आपको आपकी ही बातें याद दिला रहा हूं आपने कहा था कि आप मुसलमानों के एक हाथ में लेपटॉप और दूसरे में कुरान देखना चाहते हैं।

यह नजीब जिसकी मां पिछले 12 दिन से धरने पर बैठी है यह उसी समुदाय से है जिसके हाथ में लेपटॉप और कुरान देखना चाहते थे।

नजीब के पास लेपटॉप भी था और कुरान भी जिसे आपकी पार्टी के बगलबच्चा संगठन ABVP के कार्यकर्ता पचा नहीं पाये उन्होंने नजीब को बेरहमी से पीटा उन्होंने आपके उस कथन को भी ताक पर रख दिया जिसमें आपने कहा था कि ‘सांप्रदायिकता जहर है’ जो नजीब पिछले 12 दिन से लापता है वह बायोटेक्नॉलोजी का छात्र था JNU में बायोटेक्नॉलोजी की मात्र 20 सीटें हैं उनमें से नजीब इकलौता मुसलमान था, और हां वह किसी कोटे से नहीं बल्कि अपनी योग्यता के बल पर जेएनयू में पहुंचा था।

हमें याद है रोहित वेमुला पर आपने रोते हुऐ कहा था कि ‘भारत मां ने लाल खो दिया’ वैसा ही लाल यह नजीब भी है जिसे आपकी पुलिस अभी तक नहीं तलाश कर पाई है।

देश के होनहहार छात्र का इस तरह गायब हो जाना क्या आपकी नींदें नहीं उड़ाता ? क्या नजीब की मां का रोता हुआ चेहरा देखकर अपना ही बयान याद नहीं आता कि ‘मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय करना सरकार का फर्ज है’ ? गर वह फर्ज है तो उसे निभाया क्यों नहीं गया ? क्यों नहीं उसकी मां को उसका बेटा लौटाया जा रहा है ?

आपकी होनहार पुलिस तो मंत्रियों और विधायकों को भी चुटकियों में ढ़ूंढ लाती है फिर नजीब को क्यों नहीं तलाश किया जा रहा है। क्यों नहीं उसकी मां के साथ इंसाफ किया जा रहा है ? आप नजीब को लाकर उसकी मां को लौटा दीजिये उसे आपके द्वारा दिये जाने वाले लेपटॉप की भी जरूरत नहीं है उसे सिर्फ नजीब चाहिये।
क्या आप लौटा पायेंगे ?
वसीम अकरम त्यागी
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं)