‘मोदी के मेहमान बने मौलाना इस्लाम के नाम पर कलंक’

मुजफ्फरनगर दंगे और उसके बाद राहत कैंपों की बाबत दिए मुतनाज़ा बयान को लेकर मुस्लिम लीडरों और उलमाओं के चौतरफा हमले झेल रहे सपा सरबराह मुलायम सिंह यादव के बचाव में पीर के रोज़ सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे मोहम्मद आजम खां ने चालीस मिनट तक जबरदस्त वकालत की।

आजम ने जोर देकर कहा कि अगर मुसलमानों को मुलायम के सेक्युलर होने पर शक है तो इससे बड़ी बदनसीबी मुसलमानों की कोई ओर नहीं हो सकती। आज़म ने कहा कि अगर मुलायम सेक्युलर नहीं हैं तो पूरी दुनिया में कोई सेक्युलर पैदा नहीं हुआ।

मुरादाबाद में वाटर कार्पोरेशन की स्कीम का संग ए बुनियाद करने पहुंचे आजम खां ने जज़्बाती होकर प्रोग्राम में मौजूद बुर्कानशीं ख्वातीन से पूछा कि आप खुद बताओ क्या 30 अक्तूबर 1990 का मुलायम कभी आपकी मां, बहन बेटियों की आबरू लुटवा सकता है, क्या आपके घर जलवा सकता है?

उन्होंने कहा कि सपा की सत्ता के लिए हर मुसलमान कुर्बानी देता है, तपते हुए रास्तों से गुजरता है। दुखती रग पर हाथ रखते हुए आजम बोले कि, हमारे बच्चों (मुसलमानों) को हाथ पकड़कर मुकाबले की कतार से निकाल दिया जाता है, 22 साल में एक पीसीएस बनता है।

आईएएस के रिटन में टॉप 20 में मुसलमान नौजवान होते हैं लेकिन इंटरव्यू में नाकारा कहकर निकाल दिए जाते हैं, उस वक्त अगर कोई शख्स मुसलमानों की आवाज बनता है तो वो सिर्फ मुलायम सिंह है।

उन्होंने मौलाना महमूद मदनी का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ मौलाना मोदी की गोद में बैठकर इस्लाम के मायने समझा रहे हैं। वो इस्लाम के नाम पर कलंक हैं उन्हें गैरत के लिए कोई दरिया भी नहीं मिलती। आजम ने कहा कि मुसलमानों कब तक अपने हमदर्द को खोते रहोगे।

——–बशुक्रिया: अमर उजाला