मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कड़ी आलोचना की

नई दिल्ली : मशहूर अमेरिकी अर्थशास्त्री  स्टीव  एच हैंके ने नोटबंदी के फैसले की  कड़ी आलोचना की है| उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अंदाजा नहीं है कि देश किस दिशा में आगे बढ़ रहा है | उन्होंने कहा कि नोटबंदी लूजर्स (हारने वालों) के लिए है |

मेरीलैंड की जॉन्स  हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले हैंके ने ट्वीट कर कहा, ”नोटबंदी हारने वालों के लिए है और यह शुरुआत से ही गलत तरीके से लागू किया गया|  कोई नहीं, यहां तक कि मोदी को भी नहीं पता है कि भारत किस दिशा में जा रहा है|”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को राष्‍ट्र के नाम संबोधन में 500 और 1000 रुपए के नोट तत्काल  प्रभाव से बंद कर दिए थे|  पीएम ने इस फैसले को काले धन, जाली मुद्रा और भ्रष्टाचार पर कड़ी चोट बताया था| इस फैसले से बुजुर्ग नागरिकों को गंभीर मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ा जिन्होंने  बैंक की कतारों में घंटों बिताए, उनमें से कुछ की मौत भी हो गई|
वाशिंगटन के केटो इंस्टिट्यूट  में ट्रब्लड करंसी प्रोजेक्ट के निदेशक और वरिष्ठ  फेलो, हैंके ने पहले कहा था कि भारत में मोदी की नोटबंदी को अपनाने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं है… उन्हें  यह बात पता होनी चाहिए थी|

आर्थिक जगत की कई हस्तियों ने नोटबंदी के फैसले पर हैरानी जताई थी|  चीन के अखबार ग्लोबल  टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा था कि मोदी द्वारा 500 और 1,000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा ‘बेघर लोगों को एक महीने के समय में मंगल पर घर देने जैसे वादे’ जैसी थी|  अखबार ने लिखा था, दुर्भाग्य से वास्तविकता  यह है कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था  को कम से कम एक दशक पीछे ढकेल दिया है, जिससे नौकरियां कम हो रही हैं|

9 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी नोटबंदी के फैसले को बड़ी आपदा बताया था| मनमोहन ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में कॉलम लिखकर नोटबंदी के फैसले पर सरकार को घेरा था| इसमें उन्होंने  लिखा था कि नोटबंदी का मोदी सरकार का फैसला जल्दबाजी  में उठाया हुआ है| इससे देश की आम जनता को भारी परेशानियां झेलनी होगी|उन्होंने देश को आने वाले मुश्किल दौर के लिए तैयार रहने को कहा था|