याकूब की तदफीन मुंबई के बड़े कब्रिस्तान में की जायेगी, जुलूस निकालने की इजाजत नहीं

नई दिल्ली: साल 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों के गुनाहगार याकूब मेमन को आखिरकार 22 साल बाद जुमेरात के रोज़ सुबह 7 बजे नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।

7 बजकर 10 मिनट पर डॉक्टरों ने उसे मुर्दा ऐलान कर दिया। उसके दो रिश्तेदार लाश लेने के लिए जेल पहुंचे जिनको कार्यवाही के बाद लाश सौंप दिया गया। इसके बाद उसकी लाश को तैय्यारे से मुंबई ले जाया गया है, जहां बडे कब्रिस्तान में तदफीन की जायेगी ।

पहले से तयशुदा प्रोग्राम के तहत नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी का अमल करीब 5 बजे शुरू हुआ।
इससे पहले याकूब को तडके तीन बजे उठाया गया और नहाया गया। याकूब को जेल सुपरिंटेंडेंट योगेश देसाई ने खुद फांसी दी। देसाई ने ही कसाब को भी फांसी दी थी। टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक उसे फांसी से पहले नाश्ता दिया गया था लेकिन उसने खाने से इनकार कर दिया।

उसे मज़हबी किताब भी पढने के लिए दी गई थी, हालांकि यह साफ नहीं है कि उसने किताब पढी या नहीं। याकूब पूरी रात सो भी नहीं पाया। जिस वक्त याकूब को फांसी दी गई उस वक्त करीब 6 आफीसर जेल में मौजूद थे और 2 कांस्टेबलों ने उसे फांसी पर लटकाया। फांसी का पूरा अमल नियमा के मुताबिक मजिस्ट्रेट की निगरानी में हुई और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई।

याकूब को फांसी दिए जाने तक उसके रिश्तेदारों सुलेमान मेमन और उसमान मेमन को पास ही के एक होटल में रखा गया था।

इससे पहले बुध‍ व जुमेरात की रात बचाव फरीक की तमाम कोशिशों के बावजूद याकूब की फांसी टल नहीं पाई। याकूब की फांसी को टलवाने के लिए की गई आखिरी कोशिश के तहत सदर जम्हूरिया की तरफ से रात दस बजे रहम की दरखास्त खारिज कर दिए जाने के बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और जुमेरात तडके 3:15 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।

करीब डेढ घटं चली बहस के बाद आली अदालत ने सुबह करीब 5 बजे कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। फैसले के फौरन बाद नागपुर सेंट्रल जेल में हलचल तेज हो गई। मुंबई समेत मुल्क के तमाम बडे शहरों में सेक्युरिटी के कडे इंतजाम किए गए हैं।

जेल के आसपास दफा144 लागू कर दी गई है। मुंबई में याकूब के घर पर भी सेक्युरिटी बढा दी गई है।