नई दिल्ली।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आज एक प्रेस कान्फ्रेंस कर ट्रिपल तलाक़ पर अपना पक्ष रखा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने कहा हम हर कीमत पर यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध करेंगे। उनका कहना था कि संविधान भारतीय नागरिकों को मज़हब की आज़ादी देता है। तलाक भी हमारा मजहबी मामला है। वहीं यूनिफार्म सिविल कोड पर लॉ कमीशन के सवालों को एकतरफा बताते हुए वली रहमानी ने कहा कि लॉ कमिशन के सवालों को निष्पक्ष होकर तैयार नहीं किया गया है इसलिए इसका हम बॉयकॉट करेंगे। उन्होंने कहा बोर्ड जल्दी ही है सवालों की एक फेहरिस्त जारी करेंगे, जिसका करोड़ों लोग जवाब देंगे। इन जवाबों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
मौलाना वली रहमानी ने तल्ख अंदाज में कहा कि हम सब लोग एक एग्रीमेंट के तहत इस देश में रह रहे हैं। ये एग्रीमेंट संविधान के तहत है। जिस एग्रीमेंट में मजहब, रिवाजों को मानने की आज़ादी है। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का मतलब है इस एग्रीमेंट का उल्लंघन है।
एक सवाल में जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आप सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो जवाब था, “दबाव कहिए, मोहब्बत या लात-घूंसा, जो सही है कर रहे हैं।”
सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जिस अमेरिका की यहां जय की जाती है, वहां भी अलग अलग स्टेट का अपना पर्सनल लॉ है। अलग-अलग आइडेंटिटी है। हमारी सरकार वैसे तो अमेरिका की पिछलग्गू है लेकिन इस मुद्दे पर उसको फॉलो नहीं करना चाहती। उन्होंने ये भी कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू बड़े दिल के आदमी थे।इसलिए उन्होंने अलग-अलग ट्राइब्स के लिए संविधान में अलग-अलग प्रावधान रखवाया है।
आपको बता दें कि दुनिया के कई इस्लामिक देशों में एक बार में तीन तलाक पर पाबंदी है। पाकिस्तान में 1961 से, बंग्लादेश में 1971 से, मिश्र में 1929 से, सूडान में 1935 से और सीरिया में 1953 से तीन तलाक इन वन सेंटिग को गैर-कानूनी माना गया है। पिछले हफ्ते केंद्र सकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख साफ किया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस्लाम में तीन तलाक जरूरी धार्मिक रिवाज नहीं है और वह तीन बार तलाक बोलने की प्रथा का विरोध करती है। केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर की अध्क्षता वाली बेंच के सामने हलफनामा दायर कर कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा ऐसी चीज हैं, जिन पर समझौता नहीं किया जा सकता है