यूनिवर्सिटियों की फैकल्टी प्रोफाइल को आधार से लिंक करने पर विचार

नई दिल्ली : सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी निजी विश्वविद्यालयों में ‘फर्जी’ टीचरों पर रोक नहीं लगाई जा सकी है। ये विश्वविद्यालय अक्सर मान्यता लेने के लिए कागजों पर तो पूरी फैकल्टी दिखाते हैं लेकिन असल में कुछ टीचर क्लास ही नहीं लेते हैं। इस फर्जीवाड़े पर रोक लगाने और क्वॉलिटी एजुकेशन सुनिश्चित करने के लिए नैशनल असेस्मेंट ऐंड ऐक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) यूनिवर्सिटियों की फैकल्टी प्रोफाइल को आधार से लिंक करने पर विचार कर रही है।

NAAC विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को उनकी क्वॉलिटी एजुकेशन के लिए ग्रेडिंग करती है। सूत्रों के मुताबिक, इस कदम से इंस्टिट्यूट अपनी फैकल्टी के बारे में झूठ नहीं बोल सकेंगे क्योंकि उनकी प्रोफाइल आधार के जरिए चेक की जा सकेगी। अधिकारियों ने बताया कि अभी ऐक्रेडिटेशन के लिए अक्सर कॉलेज फर्जी जानकारी देते हैं लेकिन जब वास्तव में इंस्टिट्यूट के पास उपयुक्त फैकल्टी नहीं पाई जाती है।

कॉलेजों के ग्रेडिंग सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस बाबत NAAC को निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में यह भी विचार किया गया है कि कॉलेजों की फैकल्टी के आधार डीटेल्स लिए जाएं। नई ऐक्रिडिटेशन नीति को अगस्त से लागू किया जा सकता है।