यूनुस याफ़ई का रीवोलवर 2009 से मई 2011 तक डिपाज़िट था

हैदराबाद 30 अगस्त: अकबरुद्दीन ओवैसी हमला केस की समाअत के दौरान एक और असलाह-ओ-गोला बारूद डीलर ने अदालत में अपना बयान कलमबंद करवाया।

मुईन आरमरी के मालिक ख़्वाजा बहाउद्दीन ने अपने बयान में बताया कि हमला केस के मुल्ज़िम नंबर 3 हुस्न बिन उम्र याफ़ई का लाईसेंस याफताह रीवोलवर 31 दिसम्बर साल 2009 में इन की दूकान में जमा किया गया था और 2 मई 2011 तक उन के पास मौजूद था । मिस्टर बहाउद्दीन ने बताया कि हमले के बाद उन्हों ने हसन बिन उम्र याफ़ई के हथियार डिपाज़िट होने की इत्तेला मुताल्लिक़ा पुलिस को दी जिसके नतीजे में पुलिस ने उन की दूकान के रजिस्टर की नक़ल हासिल की और बादअज़ां रजिस्टर अदालत में भी पेश किया गया। स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ओमा महेश्वर राव‌ की जर्राह के दौरान मज़कूरा गवाह ने ये तफ़सीलात बताई।

वकील दिफ़ा एडवोकेट गुरु मूर्ती ने गवाह पर जर्राह के दौरान पूछा कि असलाह-ओ-गोला बारूद दूकान मैं किस किस्म का रिकार्ड रखा जाता है? जिसके जवाब में गवाह ने बताया कि कारोबारी रजिस्टर में लाईसेंस रीनीवल , लाईसेंस नंबर डिपाज़िट करने वाले के दस्तख़त वग़ैरा मौजूद होती हैं। मज़ीद सवालात किए जाने पर उन्होंने बताया कि साल 1994 में असलाह-ओ-गोला बारूद के कारोबार में क़दम रखा और ये उन के आबा-ए-ओ- अज्दाद का कारोबार है। जर्राह के दौरान ये भी बताया कि रिवाल्वर और बंदूक़ में काफ़ी फ़र्क़ होता है, चूँकि रीवोलवर में कारतूस रखने का बॉक्स मौजूद होता है। गवाह नंबर 28 एनी शाहिद बावज़ीर का बयान कलमबंद किया जाएगा।