यूपी गठबंधन: क्या मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं?

लोकसभा चुनाव 2019 की जंग अब तेज हो चली है। हर तरफ सियासी बिसात बिछ रही है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन होने के बाद अब अपने अपने पक्ष को मजबूत करने का सिलसिला तेज हो चला है।

इन सबके बीच मुसलमानों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गुरुवार (17 जनवरी) को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्य्क्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की।

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द और कांग्रेस का रिश्ता आजादी के बाद से ही बड़ा मजबूत रहा है और गांधी परिवार के लोग जमीयत के कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे हैं, ऐसे में अरशद मदनी की अखिलेश से हुई इस मुलाकात को राजनैतिक तौर पर कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा है।

मौलाना अरशद मदनी और अखिलेश यादव की ये मुलाकात करीब एक घंटे तक लखनऊ में हुई। इस बात की पुष्टि जमीयत उलेमा ए हिन्द के दिल्ली स्थित कार्यलय ने की है।

माना जा रहा है इसमें यूपी के सियासी और समाजी हालात पर बात हुई. उत्तर प्रदेश के वोटरों में मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा है। यूपी की कई लोकसभा सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में नजर आते हैं, ऐसे में अगर मौलाना अरशद मदनी गठबंधन के साथ खड़े दिखाए देते है, तो यकीनन इससे कांग्रेस को झटका लगेगा।

क्योंकि कांग्रेस को सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन में जगह नहीं मिली है और अगर मुस्लिम उसके साथ नहीं आते तो यूपी में कांग्रेस की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ेगी।

मौलाना अरशद मदनी देवबंद के बड़े इस्लामिक संस्थान दारुल उलूम में टीचर भी हैं और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्य्क्ष होने के नाते मुसलमानों के एक बड़े तबके में उनकी बातों को तवज्जों दी जाती है।

आपको बता दें कि यूपी में सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन हुआ है और लगातार सभी पार्टियां वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में और ज्यादा सियासी गर्मी देखने को मिलेगी।

साभार- ‘ज़ी न्यूज़’