यू पी ए हुकूमत की मुश्किलात

मर्कज़ में बरसर-ए-इक्तदार यू पी ए हुकूमत की दूसरी मयाद जहां मलिक के अवाम केलिए मुश्किलात और मसाइल का सबब साबित होर ही है वहीं ख़ुद हुकूमत केलिए भी आसानीयां नहीं हैं और वो भी कई तरह के मसाइल में घिर गई है । ख़ुद हुकूमत को भी अपनी बक़ा केलिए जद्द-ओ-जहद करनी पड़ रही है और उसे कई क़ौमी और अवामी एहमीयत के मसाइल पर अपनी ही हलीफ़ जमातों की तन्क़ीदों का सामना करना पड़ रहा है । कुछ मसाइल पर तो ख़ुद पार्टी क़ाइदीन हुकूमत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। जिस वक़्त मनमोहन सिंह की क़ियादत में यू पी ए इत्तिहाद ने दूसरी मयाद केलिए हुकूमत तशकील दी तो ये उम्मीदें की जा रही थीं कि हुकूमत की इस दूसरी मयाद के दौरान मलिक के अवाम केलिए कुछ राहतें दस्तयाब होंगी । उन्हें महंगाई से नजात हासिल होगी इफ़रात-ए-ज़र की शरहों में जो इज़ाफ़ा हुआ है इस में गिरावट आऐगी पैट्रोल की क़ीमतों में कमी होगी और मुल्क में बेहतर और साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ हुक्मरानी की उम्मीदें पूरी होसकती हैं ताहम अब सूरत-ए-हाल इस के बिलकुल बरअक्स है । यू पी ए हुकूमत की दूसरी मियाद केलिए बरसर-ए-इक्तदार आने के बाद से मुल्क में मसाइल में इज़ाफ़ा ही होता गया है । महंगाई में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा दर्ज किया गया है । पैट्रोल की क़ीमतों में गुज़शता दो साल के दौरान कई मर्तबा इज़ाफ़ा करते हुए अवाम की मुश्किलात में इज़ाफ़ा किया गया है दाख़िली मसाइल बेशुमार होगए हैं । 2G अस्क़ाम का भूत हुकूमत का मुसलसल तआक़ुब कर रहा है । पहले तो दौलत-ए-मुश्तरका अस्क़ाम और आदर्श सोसायटी अस्क़ाम मैं ख़ुद कांग्रेस क़ाइदीन को अपने ओहदों से हाथ धोना पड़ा और पार्टी के रुकन पार्लीमैंट मिस्टर सुरेश कलमडी जेल की हुआ खाने पर मजबूर हैं । फिर जब 2G अस्क़ाम की तफ़सीलात मंज़रे आम पर आने लगें तो कांग्रेस की हलीफ़ जमातों के क़ाइदीन को इस में माख़ूज़ किया गया । साबिक़ वज़ीर टेलीकॉम मिस्टर ए राजा और डी ऐम के सरबराह करूणानिधि की दुख़तर-ओ-रुकन पार्लीमैंट कन्नी मोज़ही जेल की हआ खा रही हैं । अब इस अस्क़ाम मैं ख़ुद कांग्रेसियों केलिए मुश्किलात पैदा हो रही हैं और सब से पहले वज़ीर-ए-दाख़िला पी चिदम़्बरम इस का निशाना बनते नज़र आरहे हैं जो उस वक़्त वज़ीर फ़ीनानस थे । ये भी मुम्किन है कि आइन्दा वक़्तों में इस अस्क़ाम के सिलसिला में मज़ीद सयासी क़ाइदीन के नाम भी सामने आएं । वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असैंबली इजलास में शिरकत के बाद वापस होते हुए रास्ता में प्रैस कान्फ़्रैंस के दौरान अप्पोज़ीशन पर इल्ज़ाम आइद किया कि वो मुल्क में वस्त मुद्दती इंतिख़ाबात केलिए बेचैन है और ऐसा लगता है कि उसे हुकूमत को बेदखल करने की जलदी है । यू पी ए इत्तिहाद की हुकूमत को बज़ाहिर तो ऐसा कोई ख़तरा नज़र नहीं आता लेकिन इन अंदेशों को मुस्तर्द भी नहीं किया जा सकता क्योंकि हुकूमत अंदरूनी तौर पर दहल कर रह गई है । कुरप्शन के इल्ज़ामात हूँ कि रोज़ बरोज़ सामने आने वाले स्कैंडलस हूँ वुज़रा में आपसी इख़तिलाफ़ राय हो कि ख़ुद कांग्रेसियों का हुकूमत पर अदमे इअतिमाद हो । बेशुमार मसाइल ऐसे हैं जिन पर हुकूमत कोई भी मौक़िफ़ इख़तियार करने के मौक़िफ़ में फ़िलहाल नज़र नहीं आती । इसी तरह आंधरा प्रदेश में सूरत-ए-हाल कांग्रेस केलिए परेशानकुन है जहां अलैहदा रियासत तलंगाना की तशकील का मुतालिबा अपनी इंतिहा को पहूंच चुका है और तशकील तलंगाना के मुतालिबा पर गुज़शता तक़रीबन पंद्रह दिन से आम हड़ताल जारी है । इस हड़ताल की वजह से रियासत में सारा सरकारी नज़म-ओ-नसक़ ठप होकर रह गया है और अब इस के आम ज़िंदगी पर असरात मुरत्तिब होने शुरू होगए हैं। 2G अस्क़ाम मैं ख़ुद कांग्रेसियों का रोल मशकूक होना शुरू होगया है और ये भी वाज़िह होगया है कि इस मसला पर वुज़रा मैं ख़ुद इख़तिलाफ़ात हैं। वज़ीर-ए-आज़म भले ही इस बात की तरदीद करें कि वुज़रा में इख़तिलाफ़ात नहीं हैं लेकिन हक़ीक़त इस के बरअक्स नज़र आती है । मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला चिदम़्बरम के ख़िलाफ़ जो नोट वज़ारत फ़ीनानस ने रवाना किया है इस को किसी एक ओहदेदार की कारस्तानी क़रार देते हुए बरी-उल-ज़मा नहीं हुआ जा सकता। इस मसला पर हुकूमत को सरकारी तौर पर अपने मौक़िफ़ की और इस नोट के ताल्लुक़ से तफ़सीली वज़ाहत करनी चाहीए । कांग्रेस पार्टी और बाअज़ वुज़रा हुकूमत के इमेज को बेहतर बनाने और उसे बोहरान से बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस क़ाइदीन चिदम़्बरम के दिफ़ा में पूरी तरह से उतर आए हैं और इस सिलसिला में उन्हें सदर कांग्रेस सोनीया गांधी की वाज़िह हिदायत भी मिली हुई है । कांग्रेस ही ने चिदम़्बरम के ख़िलाफ़ वज़ारत फ़ीनानस के नोट को एक जोनईर ओहदेदार की तहरीर क़रार देते हुए उस की एहमीयत को घटाने की कोशिश की है । मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून सलमान ख़ुरशीद भी इस नोट को ज़्यादा एहमीयत देने तैय्यार नहीं हैं लेकिन ये हक़ीक़त है कि इस मसला पर हुकूमत में अंदरूनी तौर पर परेशानी और भाग दौड़ में इज़ाफ़ा होगया है । कांग्रेस पार्टी और वुज़रा अगर हुकूमत को इस बोहरान से बाहर निकालने में भी कामयाब होजाएं तो इस हक़ीक़त से इनकार नहीं किया जा सकता कि यू पी ए हुकूमत केलिए और कई बोहरान हैं और बेशुमार मसाइल हैं जिन से निमटना इस के लिए सहल नहीं होगा । हुकूमत को अपनी इमेज को बेहतर बनाने और अपनी बक़ा को यक़ीनी बनाने पर ही तो जा मर्कूज़ होगी और अवामी मसाइल पर उस की तवज्जा कम से कम होती जाएगी।