राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बढ़त पर खतरे के बादल

राजस्थान विधान सभा मतदान की तारीख नजदीक आते ही भाजपा के आक्रामक प्रचार से कांग्रेस को अपनी शुरुआती बढ़त पर खतरे में नजर आ रही है। मतदाताओं और कांग्रेस का एक धड़ा मान रहा है कि आपसी लड़ाई, गुटबाजी और मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं होने के कारण पार्टी को मिली शुरुआती बढ़त पर असर पड़ सकता है।

चुनाव से पहले आए अधिकतर ओपिनियन पोल में भाजपा को मुश्किल में दिखाया गया था। लेकिन चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की लड़ाई में वापसी हो सकती है और आखिरी क्षणों में सत्तारूढ़ दल बाजी मार सकता है।

इस चुनाव में कांग्रेस ने जिन दो चेहरों को आगे किया है वे हैं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट। इनके बीच के मतभेद छिपे नहीं है और प्रत्याशियों के चुनाव के समय भी यह दिखा था। इसे ही पार्टी के चुनाव प्रचार में अहम मोड़ माना जा रहा है।

भीलवाड़ा निवासी 52 वर्षीय कंपाउंडर शंकर लाल पायक कहते हैं, कांग्रेस में कई चेहरों के उभरने से जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं गया है। अगर हम कांग्रेस के पक्ष में मत भी दें तो तय नहीं है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। उन्होंने कहा, बदलाव के पक्ष में मतदान करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस का अपना घर ही व्यवस्थित नहीं है, ऐसे में वह विकल्प कैसे देगी।

गहलोत के बयान कि वह और पायलट मुख्यमंत्री प्रत्याशी हैं, से भी गलत संदेश गया। इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.पी.जोशी, गिरिजा व्यास,लालचंद कटारिया, लोकसभा सांसद रघु शर्मा और विधानसभा में विधायक दल के नेता राम ईश्वर दुडी भी खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मान रहे हैं।