रात की शिफ़्ट में काम से सेहत पर मनफ़ी असरात: तहक़ीक़

नींद से मुताल्लिक़ एक नई तहक़ीक़ में बताया गया है कि रात की शिफ़्ट में काम करने से जिस्म की अंदरूनी घड़ी का तवाज़ुन बिगड़ जाता है बल्कि उमूमी तौर पर सोने के औक़ात में जागने की वजह से हमारी जीनयात को नुक़्सान पहुंचता है जिस की वजह से सेहत से मुताल्लिक़ कई मसाइल जन्म ले सकते हैं।

गुजिश्ता कई तहक़ीक़ों में भी रात की शिफ़्ट में काम करने वालों में नींद की कमी की वजह से ज़ियाबीत्स, दिल के दौरे और कैंसर के ख़तरे की निशानदेही की गई थी। ताहम माहिरीन ने कहा कि एक रात जाग कर काम करने के मनफ़ी असरात डी एन ए के फ़ित्री अज्ज़ा-ए-तर्कीबी में इंतिहाई तेज़ी से बिगाड़ की सूरत पैदा करते हैं।

नेशनल एकेडेमी आफ़ साइंस के एक हालिया मज़मून के मुताबिक़ नींद के साईकल या हयातयाती घड़ी में तबदीली का असर हमारे जिस्म की हर चीज़ को मुतास्सिर करता है जिससे हमारे जिस्म का दर्जा हरारत, हारमोन्ज़, जिस्मानी सेहत, मूड और दिमाग़ के अफ़आल में भी तबदीली ज़ाहिर होती है। सरने यूनीवर्सिटी से मुंसलिक तहक़ीक़ के मुआविन मुहक़्क़िक़ डेरिक जान डीजक ने कहा कि जिस्म में मौजूद हर टिशू दिन भर उसी घड़ी के साथ ताल मेल को बरक़रार रखता है।

उन्होंने वज़ाहत करते हुए कहा कि उसे एक किस्म की अफ़रातफ़री कहा जा सकता है या फिर उसकी मिसाल एक ऐसे घर में रहने वालों की है जिन के हर कमरे में घड़ी मौजूद है लेकिन हर घड़ी ग़लत वक़्त बता रही है जिसके नतीजा में घर वालों के लिए वक़्त का ताय्युन करना मुश्किल होगया है और नतीजतन घर का निज़ाम दरहम ब्रहम होगा।

इनका कहना था कि जिस्म की हयातयाती घड़ी में छेड़छाड़ का अंजाम बिलआख़िर हम आहंग जीन को ग़ैर मुतवाज़िन करने पर तमाम होता है। उन्होंने कहा कि हमारे जिस्म में तक़रीबन 6 फ़ीसद ऐसी जीन्स‌ हैं जिन में ये क़ुदरती घड़ी मौजूद है जिन की सरगर्मी दिन के बाअज़ औक़ात के लिए मख़सूस होती है इन में कुछ सीकीडीन जीन रात में फ़आल होती हैं जबकि कुछ जीन दिन के वक़्त ज़्यादा फ़आल रहती हैं। ताहम नतीजे से पता चला कि 97 फ़ीसद से ज़ाइद मुतवाज़िन और हम आहंग जीन नींद की क़ुदरती हम आहंगी से महरूम होचुकी थी, जिस से इस बात की वज़ाहत भी होती हैकि बेक़ाइदा शिफ़्ट में काम करना या जैट लॉग होने की सूरत में हमें क्यों इतना बुरा लगता है।