‘रामनवमी में बिहार का माहौल खराब किया जाएगा इसका अंदाजा नीतीश को था’

पटना: यह सच है कि बिहार के कई जिलों में तनाव का माहौल है। मगर सच यह भी है कि स्थितियां प्रशासन के काबू में है। कहीं कोई मौत नहीं हुई है। औरंगाबाद में गोली जरूर चली है, मगर प्रशासन ने हालात पर काबू पा लिया। वहां कर्फ्यू नहीं लगा है। भागलपुर से शुरू हुआ यह सिलसिला औरंगाबाद, समस्तीपुर होते हुए फिर मुंगेर पहुंचा। मगर हर जगह प्रशासन ने तनाव पर काबू पा लिया। कल तो रामनवमी जुलूस वालों ने नालंदा में पुलिस पर ही पथराव कर दिया था। मगर कुछ हुआ नहीं। हां, बेगूसराय में विसर्जन के दौरान भैंस पर चढ़कर सेल्फी लेने के चक्कर में छह युवक गंगा में डूब गए जिनमें से चार की मौत हो गयी। आज अखबारों के प्रांतीय पन्ने की यही लीड है।

कहने का मतलब यह है कि कोशिशें खूब हुईं मगर अब तक नाकामयाब ही रही। इसमें प्रशासन की बड़ी भूमिका है। खास तौर पर जब एक सत्ताधारी दल ही माहौल खराब करने में जुटा हो तो प्रशासन का इतनी तत्परता से काम करना जरूर सराहनीय कहा जायेगा।

रामनवमी में माहौल खराब किया जाएगा इसका अंदाजा नीतीश कुमार को था। आप पांच सात दिन पुराने नीतीश के बयान को चेक कीजिये। हर बार उन्होंने कहा है कि कुछ लोग माहौल खराब करने में जुटे हैं, मगर हम ऐसा होने नहीं देंगे। उन्होंने प्रशासन को भी अलर्ट किया था। सुशील मोदी ने भी कहा गया था कि बताए रूट पर ही जुलूस और विसर्जन यात्रा निकालें, भड़काऊ गाने मत बजाएं। मगर उनकी पार्टी के लोगों ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया।

इस बार संभवतः पहली दफा ऐसा हुआ कि रामनवमी का जुलूस बिहार में इतने आक्रमक तरीके से निकला। चमचमाती तलवारें पहली बार दिखीं। और वह टोपी वाला गाना हर जगह जान बूझकर तेज आवाज में बजाया गया। जै श्री राम वाला चिग्घाड़ता हुआ गाना जब भी मैं सुनता हूँ, मुझे लगता है कि रावण ही जै श्री राम का जै घोष कर रहा है। हमारी तरह जै सियाराम बोलने का कल्चर था वह अब गायब हो गया है। इस बार के जुलूस में पहली बार पिछड़ों और दलितों की बड़ी हिस्सेदारी दिखी। सवर्ण गायब थे। लगता है संघ ने इस मसले पर जमीन पर काम किया है। कहने का मतलब यह कि जो आपको दिख रहा है, उससे कई गुना अधिक तनाव भड़काने की तैयारी थी। मगर लोगों को सफलता नहीं मिली।

इसकी दो वजहें रहीं। पहला प्रशासन मुस्तैद था। दूसरा आमलोग इन भड़काऊ गतिविधियों से दूर रहे। उन्हें मालूम था कि यह राजनीतिक दलों का अपना मामला है। वे खुद सलटें। वरना जिस तरह का माहौल था लोग अपने पड़ोसियों के खून के प्यासे होने वाले थे।

सच यही है कि अमूमन हर जगह स्थितियां काबू में है। अखबारों में हिंसक वारदातों के बदले पेपर लीक और लालूजी के एम्स जाने की खबरें हैं। आज शांति के प्रतीक महावीर की जयंती है। सरकार वैशाली और पावापुरी में बढ़िया आयोजन करवा रही हैं। वैशाली में स्थानीय मछुआरे चैतवार गाने वाले हैं। और हां हो सके तो अपने अड़ोस पड़ोस के लड़कों को समझाइये रेलवे में बंपर वेकेंसी निकली है। फॉर्म भर कर परीक्षा की तैयारी करे। बिहार के लिये परेशान मत होइये। यहां सब खैरियत से है।

पत्रकार पुष्यमित्र के फेशबुक वाल से साभार