रिव्यू: शादी के साइड इफेक्ट्स में फुल रोमांस और कॉमेडी

“शादी के साइड इफेक्ट्स” फिल्म के नाम से मालूम पडता है कि शादी के बाद ज़िंदगी में क्या-क्या बदलाव आता है। इस फिल्म में शादी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को बहुत बारीकी के साथ दिखाया गया है जिसमें प्यार, रोमांस और कॉमेडी का तड़का है। साकेत चौधरी के दायरेक्शन में बनी फिल्म “शादी के साइड इफेक्ट्स” 2006 में रिलीज हुई फिल्म “प्यार के साइड इफेक्ट्स” की सीक्वल है।

“द डर्टी पिक्चर” के बाद एकता कपूर कैंप में अपना खास मुकाम बना चुकी विद्या बालन इस बार एकता की पहली पसंद थीं। साकेत चौधरी ने विद्या को साइन किया, तब तक उन्होंने हीरो के किरदार में किसी का नाम तक नहीं सोचा था।

विद्या को कहानी और अपना किरदार इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी शादी के चंद दिनों बाद इस फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी। फिल्म विद्या बालन और फरहान अख्तर एक शादी शुदा जोडे के किरदार में है। फिल्म में मैरिड कपल की स्टोरी को आम जिंदगी से जोडकर दिखाया गया है और ये आपके अपने जिंदगी का हिस्सा लगेगी।

कहानी – सिड (फरहान अख्तर) और तृषा (विद्या बालन) का प्यार अब शादी में तब्दील हो चुका है। सिड और तृषा दोनों खट्टे- मिठे तजुर्बे के साथ शादीशुदा जिंदगी जी रहे है। शादी के कुछ दिनो बाद तृषा की मां बनने की ख्वाहिश जागती है। वह सिड से बात करती है लेकिन वह इसके लिये राजी नहीं होता। सिड अपने करियर पर फोकस करना चाहता है।

एक दिन अचानक से सिड फैमिली बढाने के बारें मे सोचता है। उसे लगता है ज्यादा देर करने के बाद कहीं उसे मुसीबतों का सामना न करना पड जाए। दोनों खानदान बढाने का फैसला करते है। तृषा अब एक नन्ही बेबी की मां बन चुकी है। यहीं आता है कहानी में टि्वस्ट।

घर में नन्हें मेहमान के आने के बाद दोनों के रिश्ते में प्यार के बजाय कड़वाहट होने लगती है। दूसरी और तृषा की वालिदा (रति अग्निहोत्री) सिड को अपने बड़े दामाद रणवीर (राम कपूर) से कुछ सीखने की सलाह देती है। ऐसे में हालात उस वक्त कुछ अलग ही हो जाता हैं जब सिड रणवीर जैसा बनने की कोशिश करने में लग जाता है।

दरअसल, रणवीर की हैपी मैरिज लाइफ का एक ही फंडा है, झूठ बोलकर फैमिली को खुश रखा जाए। सिड रणवीर जैसा बनने की कोशिश करता है। सिड व तृषा की ज़िंदगी में आए कई टि्वस्ट के साथ फिल्म आखिर तक पहुंचती है। सिड और तृषा की लाइफ में फिर से खुशियां आती है या नहीं। इसके लिए फिल्म देखनी होगी।

विद्या बालन की अदाकारी बेमिसाल है और तृषा के किरदार में विद्या ने जान डाल दिया है। फरहान अख्तर भी अपने रोल में फिट बैठे है लेकिन विद्या अदाकारी के मामले में उनसे आगे निकल गई है और फिल्म में उन पर हावी रही है।

राम कपूर, ईला अरूण का किरदार औसतन रहा है जिन्होंने अपने किरदार को बेहतर ढंग से निभाया है। प्यार, झगड़ा, रूठना-मनाना, शादी के बाद के इन सभी एहसासों को सिने पर्दे पर विद्या और फरहान की कोशिश काबिल ए तारीफ है।