लालू 10 दिन में करें शहाबुद्दीन की रिहाई का इंतेजाम, नहीं तो भूख हड़ताल और चक्का जाम : शहाबुद्दीन समर्थक

पटना : मंगलवार को आरजेडी के कार्यकार्ताओं ने सीवान सदर प्रखंड के कार्यालय पर धरना दिया. धरने के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. कार्यकार्ताओं ने बिहार के महागठबंधन सरकार के खिलाफ जमकर आग उगला और कहा कि शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कर उन्हें फिर से जेल भेजने के पीछे नीतीश कुमार की सरकार को जिम्मेवार बताया. धरने में मौजूद सदर प्रखंड के आरजेडी अध्यक्ष परवेज आलम कहा कि उन्हें सरकार से कोई मतलब नही है, यहां सब कुछ मोहम्मद शहाबुद्दीन ही हैं. अगर वे नही रहेंगे तो हम भी नही रहेंगे.

आरजेडी के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के समर्थकों ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को ही चुनौती दे डाली कि अगर 10 दिनों के अंदर वो शहाबुद्दीन की रिहाई के लिए कुछ नही करते हैं तो कार्यकर्ता भूख हड़ताल और चक्का जाम करने का आंदोलन करेंगे. परवेज आलम ने आरजेडी सुप्रीमों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आरजेडी सुप्रीमो 10 दिनों के अंदर शहाबुद्दीन की रिहाई के लिए कुछ नही करते है तो वो लोग आरजेडी के खिलाफ बगावत करेंगे.

जब से शहाबुद्दीन की जमानत रद्द हुई है तब से सीवान और गोपालगंज के आरजेडी में बगावत शुरू हो गई है. पिछले दिनों तो वहां के आरजेडी विंग ने लालू यादव को आरजेडी से निकालने का प्रस्ताव भी पारित किया था. इस तरह लगातार वहां के आरजेडी कार्यकर्ता शहाबुद्दीन की रिहाई के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. शहाबुद्दीन की जमानत रद्द होने पर वहां मुहर्रम भी नहीं मनाया गया.

शहाबुद्दीन को 7 सितंबर को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दी थी. 10 सितंबर को वो भागलपुर जेल से बाहर आए और फिर 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द होने पर उन्हें जेल भेज दिया गया. फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है. ऐसे में शहाबुद्दीन की जमानत की अर्जी 6 महीने बाद ही दी जा सकेगी, यानि जमानत मिलना और जेल से बाहर आना तो अभी दूर की बात है.