लीक हुई रघुराम राजन को हटाने के लिए मोदी को लिखी सुब्रमण्यम स्वामी की चिट्ठी

नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने जब से भारतीय की अर्थव्यवस्था को लेकर बीजेपी सरकार को  शीशा दिखाया है तब से बीजेपी अपनी सच्चाई को हजम नहीं कर पा रही है और अपने ऊपर लगे इल्जामों को छिपाने के लिए रघुराम राजन पर ही कीचड उछाल रही है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और अरुण जेटली राजन के खिलाफ तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे है, पिछले दिनों स्वामी ने कहा कि रघुराम राजन शिकागो चले जाएँ, तो कभी ब्यान दिया कि वह दिल से भारतीय नहीं है इसलिए उन्हें जल्द से जल्द उनके पद से हटा दिया जाए। ऐसे बेतुके ब्यान देकर बीजेपी से साबित कर दिया है कि अगर कोई सच बोलेगा तो उसे रास्ते से हटा दिया जाएगा। अब स्वामी ने देश के प्रधानमंत्री मोदी को खत लिख कर रघुराम राजन को उनके पद से हटाने की गुजारिश की है जिसमें स्वामी ने राजन पर कुछ आरोप लगाए है। आपको बता दें कि ऐसा ही खत स्वामी पहले भी प्रधानमंत्री को लिख चुके हैं।  सूत्रों के हवाले से मिले इस खत को हम आपके सामने  रख रहे है।
प्रिय प्रधानमंत्री जी,

रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर के कार्यकाल के संबंध में पहले भी भेजे गए पत्रों के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए इस पत्र में मैं वर्तमान आरबीआई गवर्नर डॉ रघुराम राजन के खिलाफ छह आरोप लगा रहा हूं. मेरे हिसाब से पहली नजर में ये आरोप सही हैं और अगर आप भी इससे सहमत हैं तो उनकी सेवाएं तुरंत समाप्त कर दी जानी चाहिए. ये छह आरोप इस तरह हैं.

1.  ब्याज दरें बढ़ाने की डॉ राजन की जिद के चलते छोटे और मंझोले घरेलू उद्योगों में मंदी आई. इससे न सिर्फ उत्पादन तेजी से गिरा बल्कि बड़ी संख्या में अर्धकुशल कामगार बेरोजगार हो गए. फायनांस का प्रोफेसर होने के नाते उन्हें भी मालूम रहा होगा कि ब्याज दरें बढ़ाने का नतीजा यही होना है. इसलिए उन्होंने जानबूझकर यह नीति अपनाई जिसके पीछे की सोच राष्ट्रविरोधी है.
2.  आरबीआई एक्ट में शरीयत के हिसाब से चलने वाले वित्तीय संस्थान खोलने की मनाही है. इस बात की पुष्टि आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने अपने-अपने शपथपत्रों में तब भी की थी जब उन्होंने 2012 में मेरे द्वारा इस संबंध में केरल हाईकोर्ट में दायर एक याचिका का जवाब दिया था. फिर भी डॉ राजन शरीयत के हिसाब से चलने वाले वित्तीय संस्थानों को खोलने की इजाजत देने पर अड़े रहे जबकि बतौर प्रधानमंत्री आपने एक दिसंबर 2014 को ऐसा न करने का आदेश दिया था.
3.  डॉ राजन के पास आज भी ग्रीन कार्ड है जो अमेरिका की नागरिकता हासिल करने से पहले की सीढ़ी है. यह कार्ड रखने वालों को भी अगर जरूरत पड़े तो अमेरिकी सरकार को सैन्य सेवाएं देनी पड़ती हैं. भारत सरकार में इतने ऊंचे और संवेदनशील पद पर नियुक्त होने के बाद भी वे हर साल एक बार अमेरिका की यात्रा जरूर करते हैं ताकि उनके ग्रीन कार्ड का नवीनीकरण होता रहे. .आरबीआई के गवर्नर का पद बहुत ऊंचा है और यह जरूरी है कि इस पर बैठने वाला हमारे देश के प्रति राष्ट्रभक्ति और समर्पण का भाव रखे.

4. आरबीआई गवर्नर के तौर पर डॉ राजन ने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के अपने असुरक्षित ईमेल पते रघुरामडॉटराजनएटशिकागोबूथडॉटईडीयू से दुनिया भर में कई लोगों को गोपनीय और संवेदनशील वित्तीय जानकारियां भेजी हैं. यह लापरवाही और भारत के सुरक्षा हितों के प्रति असम्मान का उदाहरण है.
5. सरकारी अधिकारी होने के बावजूद वे सार्वजनिक रूप से भाजपा सरकार को नीचा दिखाते रहे हैं. उदाहरण के लिए अपने आरोपों से उन्होंने देश में ‘असहिष्णुता के माहौल’ के लिए हमारी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. वाशिंगटन में हाल में हुई एक बैठक में उन्होंने भारत की विकास दर को नीचा दिखाते हुए कहा कि यह अंधों में काने राजा जैसी है. सरकार के खिलाफ इस तरह के अपमानजक कटाक्ष सरकारी अधिकारियों के कामकाज संबंधी नियमों का उल्लंघन तो हैं ही, यह व्यवहार इतने ऊंचे पद पर बैठे अधिकारी को शोभा भी नहीं देता.
6.डॉ राजन अमेरिका के प्रभुत्व वाले ग्रुप ऑफ 30 के सदस्य हैं. इस संस्था के लक्ष्यों पर करीब से नजर डालें तो ऐसा लगता है कि इसका मकसद वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका के वर्चस्व की रक्षा करना है. 1997-98 में पूर्वी एशिया में आए वित्तीय संकट के दौरान जिस तरह से फलती-फूलती जापानी अर्थव्यवस्था लुढ़क गई, उससे पता चलता है कि अमेरिकी बॉन्ड मार्केट की दरें कैसे पूर्वी एशिया में संकट की चिंगारी की तरह काम कर सकती हैं. इस संकट का नतीजा यह हुआ कि ढेर हुई ज्यादातर जापानी कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों ने खरीद लिया. आज जापानी अर्थव्यवस्था पर अमेरिका की पकड़ बहुत गहरी है और यह स्थिति 1980 के दशक के बिल्कुल उलट है. जिस तरह से अव्यावहारिक रूप से ऊंची विकास दरों ने छोटे और मंझोले उद्योगों का गला घोंट दिया उसे देखते हुए डॉ राजन की योजना भी कुछ ऐसी ही लगती है. पांच अक्टूबर 2015 को मैंने आपको एक पत्र भेजा था. इसमें मैंने आरबीआई द्वारा 10 आवेदनकर्ताओं को छोटे वित्तीय बैंक खोलने की सैद्धांतिक अनुमति का जिक्र किया था जो बताता है कि इस अहम क्षेत्र में किस तरह विदेशियों के आगे घुटने टेके जा रहे हैं.

इन सब बातों के मद्देनजर मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि आरबीआई गवर्नर के पद पर डॉ राजन की सेवाएं समाप्त करना राष्ट्रीय हित में है. फैसला बेशक आपको करना है. यह पत्र आपके विचारार्थ है.

आपका

सुब्रमण्यम स्वामी