नई दिल्ली। 30दिसंबर : इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी मर्कज़ के क़ियाम, अजमल कसाब को फांसी और वज़ीर दाख़िला की तबदीली 2012 में वज़ारत-ए-दाख़िला के अहम वाक़ियात रहे जिस को शदीद अवामी एहतिजाजों ने भी साल के अवाख़िर में मसरूफ़ रखा जो 23 साला तालिबा की इजतिमाई इस्मत रेज़ि और उस की मौत के ख़िलाफ़ किए गए थे।
नक्सलेट तशद्दुद पर क़ाबू पाने की मुहिम भी वज़ारत-ए-दाख़िला के लिए अहम साबित हुई जो वक़फ़ा 9 रियासतों उडिसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, मग़रिबी बंगाल, महाराष्ट्रा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश में जारी रहा। हालाँकि पुलिस कार्रवाई और तरक़्क़ियाती हिकमत-ए- अमली पर मबनी दो रुख़ी पॉलीसी इख़तियार की गई थी। मीआद के दरमियान पी चिदम़्बरम की जगह शिंदे मर्कज़ी वज़ीर दाख़िला मुक़र्रर किए गए।