इस मुस्लिम देश ने दो नाबालिग कैदियों को मौत की सजा, मचा बवाल!

मानव अधिकारों की रक्षा करने वाले समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि ईरान ने गुप्त रूप से दो नाबालिग लड़कों को दुष्कर्म के कई आरोपों के चलते मौत की सजा दी है। एमनेस्टी ने इस बात के लिए ईरान की निंदा की है और कहा है कि उसने अंतरराष्ट्रीय कानून और बच्चों के अधिकारों की अवहेलना की है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, ब्रिटेन स्थित अधिकार समूह का कहना है कि मृतक लड़कों को 15 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया था। दोनों के नाम मेहदी सोहरबिफर और अमीन सेगाघाट था। बताया जा रहा है कि अनुचित ट्रायल के दौरान दोनों को मौत की सजा सुनाई गई और बीते गुरुवार को फांसी पर लटका दिया गया।

वहीं एमनेस्टी का कहना है कि दोनों लड़कों को मारने से पहले कोड़े मारे गए थे। एमनेस्टी के मध्यपूर्व और उत्तरी अफरीका के निदेशक फिलिप लूथर का कहना है, “ईरानी अधिकारियों ने एक बार फिर साबित किया है कि वे बच्चों को मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हैं, अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना करके।”

उन्होंने आगे कहा, “इन दोनों लड़कों को मौत की सजा को लेकर दो साल तक अंधेरे में रखा गया। जीवन के अंतिम क्षणों में इन्हें प्रताड़ित किया गया। और फिर गुप्त रूप से फांसी पर चढ़ा दिया।”

इनके परिवार को बीते बुधवार को इनसे मिलने की अनुमति दी गई लेकिन मौत की सजा के बारे में कुछ नहीं बताया गया। बच्चों को फांसी देने के मामले में ईरान के बाद दूसरा स्थान चीन का है।

जहां माना जाता है कि हजारों बच्चों को हर साल मौत की सजा दी जाती है। एमनेस्टी का कहना है कि साल 1990 से 2018 के बीच ऐसे 97 नाबालिग कैदी थे जिन्हें मौत की सजा दी गई है।