वाराणसी के संकट मोचन मंदिर द्वारा दिया गया ‘शांतिदूत’ पुरस्कार मेरे लिए गर्व की बात : जावेद अख्तर

मुंबई : पटकथा लेखक, गीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अख्तर ने वाराणसी के संकट मोचन मंदिर द्वारा दिए गए ‘शांतिदूत’ पुरस्कार प्राप्त कर उन्हें ट्रोल करने वालों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस पुरस्कार पर गर्व महसूस हो रहा है। यह पुरस्कार शांति के लिए काम करने वाले असाधारण लोगों को सम्मान स्वरूप दिया जाता है। जावेद अख्तर को शुक्रवार को यह पुरस्कार दिया गया। अख्तर ने कहा, ‘संकट मोचन मंदिर निस्संदेह देश का सबसे पूजनीय हनुमान मंदिर है। सप्ताह भर चलने वाला संगीत समारोह उनकी 95 साल पुरानी परंपरा है, लेकिन यह पहली बार है, जब मंदिर प्रबंधन ने शांतिदूत पुरस्कार देने का फैसला किया।’

उन्होंने कहा, ‘मैं गौरवान्वित हूं कि उन्होंने मुझे यह सम्मान दिया है। 6 अप्रैल की रात को मुझे मंदिर में यह पुरस्कार मिला।’ अख्तर ने कहा, ‘यह हमारा असली भारत है। यहां सभी धर्मों को मानने वाले साथ रहते हैं और जो लोग सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश करते हैं, उनको शांति चाहने वाले लोग इसका प्रभावी ढंग से जवाब देते हैं। भारत को दुनिया में लोग सभी धर्मों का आदर करने वाले देश के रूप में जानते हैं। कुछ लोग सियासी फायदे के लिए भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। जो लोग ऐसा करते हैं, उन्हें दुनिया फिरकापरस्त कहती है।’ इस मौके पर शबाना आजमी ने कहा कि मुझे लगता है कि यह पुरस्कार देश के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक द्वारा दिया गया है, जो जावेद को ट्रोल करने वालों के लिए माकूल जवाब है।