विकास का जुमला: 30 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, एक्सचेंज रेट 68.75 तक पहुंचा

नई दिल्ली: देश में जहाँ सरकार की तरफ से गरीबी और महंगाई काम कम करने को लेकर बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं और कहा जा रहा है की देश में विदेशी निवेश बढ़ा है वहीँ डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत कुछ और ही कहानी बयान कर रही है।

देश में इकोनॉमी का हाल यह है की आज शुक्रवार को रूपया डॉलर के मुकाबले 30 महीने के निचले स्तर पर गिरकर 68.75 पर आ गया। यह स्तर 28 अगस्त 2013 के बाद रुपए का सबसे निचला स्तर है। रुपये में आ रही बड़ी गिरावट से महंगाई बढ़ने के आसार मजबूत होते जा रहे हैं और सरकार है कि संसद में विरोधी दलों को सच्ची झूठी दलीलों के जरिये कभी सर कलम कर पेश करने की बात कर रही है तो कभी देशद्रोही खोजने में लगी है।

रूपये के गिरते दाम से जहाँ दालों, इडिबल ऑयल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के रेट बढ़ने तय हैं वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे एलईडी टीवी, एसी, कारें महंगी भी हो सकती हैं। देश के नेता जहाँ बाजार में विदेशी पैसा आने की बात कर रहे वहीँ असल में देश के इक्विटी मार्केट से एफआईआई( विदेशी इन्वेस्टर्स) लगातार पैसा निकाल रहे हैं जिससे रुपए पर दबाव पड़ रहा है।