विपक्ष के दबाव में आये नीतीश, सृजन घोटाले की जांच CBIकरेगी

पटना। आखिरकार बिहार की नीतीश सरकार ने भागलपुर एनजीओ सृजन फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। यह फर्जीवाड़ा 700 करोड़ रूपए से ज्यादा का हुआ है। पूर्व उपमुख्यमंत्री व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर बिहार सरकार पर गुरूवार को प्रेस कांफ्रेंस कर जमकर हमला बोला।

नीतीश और सुशील मोदी को इसमें लिप्त होने का शिष्य आरोप लगाया। साथ ही सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। उनका कहना था कि इसमें बडे बड़े लोग शरीक है। जिन्हें हिरासत में लेना एसएसपी के बूते के बाहर है। सवालिया लहजे में बोले अब नीतीश कुमार की भ्र्ष्टाचार पर जीरो टालरेंस वाली आत्मा कहां गई।

एक हद तक यह ठीक भी लग रहा। कल्याण महकमा के डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी अरुण कुमार और नाजीर महेश मंडल को हिरासत में लेकर पूछताछ के दौरान भागलपुर के डीएम पर भी इनमें शरीक होने का आरोप लगाया।

उनका कहना था कि पीएनबी में कल्याण महकमा का खाता बंद कर बैंक आफ बड़ौदा में रूपए जमा करा सृजन के खाते में ट्रांसफर किया जाए। तभी वहां से बीते साल नवंबर में 6 करोड़ रूपए चेक काट बैक आफ बड़ौदा में रकम भेजी। इन दोनों से तीन रोज तक गहन पूछताछ एसएसपी के आवास पर एसआईटी और आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने की थी।

इसके बाद से पुलिस आगे कुछ न कर पाने के हालात जैसी हो गयी। एसएसपी को कई दफा जानकारी लेने के बाबत फोन लगाया तो मोबाइल पर लगाया फोन डायवर्ट कर आवास फोन ड्यूटी पर एसएसपी ने कर दिया। इससे भी जाहिर हुआ कि उनके पास आगे क्या करे और क्या न करे के हालात हो गए है।

तभी वे पत्रकारों से कतराते रहे। वैसे भी रिजर्व बैंक का नियम है कि यदि 30 करोड़ रूपए से ज्यादा का फर्जीवाड़ा बैंक में होता है तो मामला सीबीआई को सौप देना है। लिहाजा बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी।