विवादास्पद धार्मिक स्थल पर बातचीत धर्म गुरूओं के बीच होनी चाहिए, धर्म के सौदागरों से नहीं – मौलाना अबु तालिब रहमानी

अब्दुल हमीद अंसारी, कोलकाता। siasat hindi

हर साल की तरह इस साल भी 6 दिसंबर को मुसलमानों ने हिंदुस्तान में अपने तरिके से बाबरी मस्जिद की शहादत को काला दिवस के तौर पर मनाया , मगर अफसोस की बात तब हो जाती है, जब वक्तन – फवक्तन RSS या इस तरह की तंजीमो से जुड़े लोगों का मुसलमानों को डरने या धमकाने जैसा बयान आता है।

समझने वाली बात यह है कि क्या मुसलमान भी यही सोच रखते हैं ? क्या मुसलमानों के रहनुमा भी RSS या इस तरह की कट्टर सोच रखने वाले तंजीमो की तरह ही नफरत फैलाने वाले सोच रखते हैं? मैं ये जानने के लिए ” मौलाना अबु तालिब रहमानी “सदर इंडियन उलेमा काउन्सिल से बात की –

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सवाल – संघ परिवार के अलग – अलग लोगों की तरफ से बाबरी मस्जिद पर मुसलमानों को धमकाने की कोशिश की जा रही है, आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब – धमकी का मतब साफ है, ये सच्चाई की कमी है, इसिलिए डराने – धमकाने की कोशिश की जा रही है। जाहिर है कि ये काम कोई शरीफ़ आदमी नहीं करते हैं, बदकिस्मती से संघ परिवार में ऐसे ही लोग ज्यादा है, जिनकी ज़बाने हमेशा तकलीफ देह होती है।

सवाल – क्या संघ परिवार इस देश में घुम – घुम कर “राम मंदिर “के नाम हिन्दू समाज के भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है ?

जवाब – भावनाओं को भड़काने वाले लोगों की तादाद हर दौर में सिर्फ मुठ्ठी भर ही रही है और तरीका नाज़ियो का रहा है, जो बदनसीब इंसानियत का पैगाम नहीं फैला सकते, वो मजहबी जज्बात भड़का कर इंसानो को वैहशी (जानवर) बनाना चाहते हैं,जो कि सारे इंसानियत के लिए काबिले फिक्र है।

सवाल – इसका उपाय क्या है ? मुआशरे में क्या पैग़ाम देना चाहेंगे ?

जवाब – बहुत सही सवाल किया है आपने, देखिये.. अगर मुआशरे में मोहब्बतें कम हुइ, रिश्तों में दरार पैदा हुआ तो इंसानियत और इस देश का बहुत बड़ा नुकसान होगा। ऐसे में हमें चाहिए कि हमारे देश में रहने वाले करोड़ों हिन्दू भाई – बहन जो बहुत शरीफ़, धार्मिक और इंसानियत का सम्मान करने वाले हैं, उनको अपने उपर हो रही जुल्म और गुमराहकुन झूठे प्रोपोगेंडा को बताया जाना चाहिए। हम सैकड़ों सालों से एक दुसरे के साथ इस देश में रहते हैं, इसमें कोई शक नहीं कि इस देश का हिन्दू समाज हमारे बड़े भाई के तरह है और हम उनके छोटे भाई हैं, चंद पागलों की पागलपन की वजहों से हम भाई से भाई का रिश्ता खराब होने नहीं देगें।

सवाल – बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का हल क्या है?

जवाब – 1) संघ परिवार को सबसे पहले धमकियों की जबान से बाज़ आना पड़ेगा, क्योंकि तारिख हमारी गवाह है, जिस – जिस ने हमें धमकीया दि है, हमने दिलेरी के साथ मुकाबला किया है, लिहाजा ये सब हरकतें तो बंद होने ही चाहिए। चाहे कोई मुस्लिम तंजीम भी अगर नफरतों की जुबान बोल रही है, तो हम उससे भी नफरत करेंगें।

2)मामला अदालत में चल रहा है, हम दोनों ही अपने – अपने सबूतों के साथ अदालत में बात रखे, अदालत जो फैसला करेगी, हम दोनों ही इसको मानेंगे, हमने इसका वादा कर रखा है, दुसरे फरीक ने अबतक इसका वादा नहीं किया है।

3)आपसी भाईचारे के माहौल में बातचीत करना, ये सबसे उंचा रास्ता है। जब भी बात बातचीत होगी तो हम इसका इस्तकबाल करेंगे, भरपूर इज्जत और एहतराम करेंगे, हम पुरे अदब के साथ अपनी बात रखेगें।

अब सवाल उठता है कि कौन और कैसे करें?

ये बात साफ होने चाहिए कि संघ परिवार और उनसे जुड़े तंजीम कोई मजहबी तंजीम नहीं है, उनसे जुड़े बहुत से बड़े – बडे लोग ऐसे हैं जिनका “श्री राम” जी में कोई आस्था तक नहीं है, जैसे सब जानते हैं कि पुरे देश में घुम – घुम कर “राम” जी के पवित्र नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने वाले श्री आडवाणी जी सिंधी है, और झोले लाल के पुजारी है, कोई परवीन तोगड़िया और अमित शाह जी से पुछ ले कि उनका धर्म सही में क्या है? बड़ी मेहरबानी होगी अगर वो बता दें।

लिहाजा हमारे हिन्दू धर्म के जो बड़े – बड़े ऋषि मुनि, धार्मिक गुरु, शंकराचार्य ये पवित्र लोग आगे आये।

मुसलमानों की सबसे बा एहतेमाद जमात ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है, जिसमें सुंनि, शिया, देवबंदी, बरेलवी, अहलेहदीस और बोहरा जमात के लोग भी शामिल है। लिहाजा शंकराचार्य और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बीच बातचीत होनी चाहिए।