शरणार्थियों के मामले में तुर्की ने यूरोपीय देशों को दी चेतावनी

अंकारा : युरोपीय संघ और तुर्की के मध्य तनावों में वृद्धि हो जाने के पश्चात अंकारा ने चेतावनी दी है और कहा है कि पश्चिम की ओर से तुर्की की मांगों की उपेक्षा किये जाने की स्थिति में वह शरणार्थियों के रेले को नियंत्रित नहीं कर सकता। तुर्की के विदेशमंत्री मौलूद चाऊश ओग़लू ने एक साक्षात्कार में चेतावनी दी और कहा है कि अगर आगामी अक्तूबर महीने तक तुर्की के नागरिकों को यूरोपीय देशों की यात्रा के लिए वीज़े से माफ़ नहीं किया गया तो अंकारा यूरोप जाने वाले शरणार्थियों के रेले को नहीं रोक सकता।

उन्होंने कहा कि यूरोप जाने वाले शरणार्थियों को रोकने के संबंध में पिछले मार्च महीने में जिस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे तुर्की ने उसके संबंध में अपने दायित्वों का निर्वाह किया है और वह इस बात की प्रतीक्षा में है कि यूरोपीय संघ भी अपने वादों पर अमल करेगा। तुर्की और यूरोपीय संघ के संबंध ऐसी स्थिति में तनावग्रस्त हो गये हैं जब तुर्की में गत 15 जुलाई के विफल सैन्य विद्रोह के बाद दसियों हज़ारों लोगों विशेषकर सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बहुतों को उनके कामों से हटा दिया गया है और यह प्रक्रिया यथावत जारी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूरोपीय संघ की ओर से तुर्की की उपेक्षा अंकारा सरकार द्वारा यूरोपीय सरकारों पर दबाव डाले जाने का मूल कारण है। 15 जुलाई के विफल सैन्य विद्रोह के बाद तुर्क अधिकारियों विशेषकर इस देश के राष्ट्रपति ने घोषणा की है कि अंकारा को पश्चिमी विशेषकर यूरोपीय नेताओं के अधिक समर्थन की अपेक्षा थी।

ज्ञात रहे कि यूरोपीय नेता जब तक तुर्की में सैन्य विद्रोह के विफल होने से संतुष्ट नहीं हो गये तब तक उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति के नाम किसी प्रकार का संदेश नहीं भेजा जबकि रजब तय्यब अर्दोग़ान सहित तुर्क अधिकारियों ने सांकेतिक रूप से यूरोपीय देशों के इस प्रकार के व्यवहार को विद्रोहियों का समर्थन बताया था। स्पष्ट है कि यह प्रक्रिया तुर्की की सरकार के प्रति यूरोपीय और अमेरिकी राजनेताओं की अप्रसन्नता का कारण बनी है।