शहीदों के लवाहिक़ीन को मैडलस वापिस !

नई दिल्ली, 31 मार्च (पी टी आई) आठ सेक्योरिटी पर्सोनल जो 2001के पार्लीमेंट हमले में मारे गए, उनकी फ़ैमलियों ने आज बहादुरी-ओ-शुजाअत पर दिए जाने वाले वो तमगे वापिस ले लिए जो उन्होंने अफ़ज़ल गुरु की फांसी में ताख़ीर के ख़िलाफ़ बतौर-ए‍एहतेजाज 2006 में लौटा दिए थे।

इस हमले में अपनी जानें गंवाने वालों के लवाहिक़ीन ने ये मैडलस सदर जमहूरीया प्रणब‌ मुख‌र्जी से हासिल किए। इन ख़ानदानों ने गुज़िश्ता माह अफ़ज़ल को फांसी पर लटका देने के बाद ये मैडलस वापिस हासिल कर लेने का फ़ैसला किया था।

इन फ़ैमलियों ने ये गीलनटरी मैडलस जो उन्हें मक़्तूल पर्सोनल के एज़ाज़ में हासिल हुए, 13 दिसम्बर 2006 को राष्ट्रपति भवन को वापिस करदिए थे। मक़्तूल सी आर पी एफ़ कांस्टेबल कमलेश कुमारी की दुख़तर श्वेता सिंह ने कहा, में यहां मेरी माँ की ख़ातिर आई हूँ और में सदर जमहूरीया की शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने गुरु की अपील-ए-रहीम को मुस्तर्द कर दिया।

इस से मेरी माँ की शहादत को एज़ाज़ मिला है। दिल्ली पुलिस कांस्टेबल आँजहानी विजेंदर सिंह की बेवा जया वित्ती ने कहा, मैंने हुकूमत से इस के सिवा-ए-कुछ ना चाहा कि हमले के मरतकबीन को सज़ा दी जाये। ये बड़ी राहत है कि मेरे शौहर की शहादत को कमाहक़ा हिस्सा मिला।

ऐम ऐस बट्टा, सदर नशीन इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी महाज़ जो राष्ट्रपति भवन को इन फ़ैमलियों के हमराह आए, उन्होंने कहा कि वो इन तमगों की वापसी के लिए सदर जमहूरीया के शुक्रगुज़ार हैं। सदर जमहूरीया से अपील भी की कि सज़ाए मौत के तमाम तसफ़ीया-ए-तलब केसों को निमटा दें, बिलख़सूस साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म राजीव गांधी और साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर पंजाब बेअंत सिंह के क़तल माम‌ले। बटा ने कहा, राजीव गांधी शहीद हैं और मेरी राय में उन के क़ातिलों को मुजरिम ठहराने के लिए अगर ज़रूरत पड़े तो हुकूमत को तक दाव‌ पर लगा देना चाहीए।