शाम की जानिब से कीमीयाई हथियारों की हवालगी से मुताल्लिक़ रूसी तजवीज़ से इत्तिफ़ाक़ के बाद सदर अमरीका बरोक ओबामा ने अमरीकी फ़ौजी हमले को फ़िलहाल मुल्तवी रखा है। ताहम उन्होंने कहा कि सिफ़ारती कोशिशें सूदमंद साबित ना होने पर शाम पर हमला किया जाएगा।
बराक ओबामा को शाम में फ़ौजी मुदाख़िलत की अमरीकी कांग्रेस में शदीद मुख़ालिफ़त का सामना है इस के बावजूद अमरीका ने अपनी फ़ौज को तैयार रहने का हुक्म दिया है। ओबामा ने शाम के कीमीयाई हथियारों को बैन-उल-अक़वामी कंट्रोल में लाने की तजवीज़ को हौसला अफ़्ज़ा-ए-क़रार दिया। उन्होंने कहा कि सिफ़ारती कोशिशों के पेशे नज़र वो फ़ौजी कार्रवाई की तजवीज़ को फ़िलहाल मुल्तवी कर रहे हैं। वाईट हाउज़ से क़ौम से ख़िताब करते हुए ओबामा ने जंग मुख़ालिफ़ अमरीकियों से कहा कि वो शाम पर फ़ौजी कार्यवाईयों से गुरेज़ करने के लिए एक सिफ़ारती मौक़ा देना चाहते हैं।
ओबामा ने अपनी 16 मिनट की अहम तक़रीर में कहा कि वो सदर रूस व्लादीमीर पुतीन के साथ तबादला-ए-ख़्याल करेंगे जो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की मंज़ूरी के बगै़र शाम के ख़िलाफ़ किसी भी किस्म की फ़ौजी कार्रवाई के मुख़ालिफ़ हैं। ओबामा ने सीनेट से भी कहा कि फ़ौजी ताक़त को इख़्तयारात देने के लिए उनकी दरख़ास्त पर राय दही को मोखर(लंबित) कर दें ताकि शाम के मसले का सिफ़ारती हल निकाला जाये। उन्होंने अब शाम पर हमला करने का कोई वक़्त मुक़र्रर नहीं किया। अलबत्ता कहा कि सदर शाम बशार अल असद से कोई भी मुआमलत के लिए उनके बयान को सच बनाए रखने की तसदीक़ की ज़रूरत होगी।
ओबामा की तक़रीर मंसूबा बंद थी क्योंकि ओबामा शाम पर हमले के लिए अपने मंसूबे को अवामी-ओ-कांग्रेस के अंदेशों को दूर करते हुए ताईद हासिल करना चाहते हैं। ओबामा नज़म-ओ-नस्क़ ने 21 अगस्त को दमिशक़ के मुज़ाफ़ात में कीमीयाई हथियारों के इस्तिमाल और 14000 अफ़राद की हलाकत को संगीन क़रार दिया था। अमरीका को आलमी सलामती का अलमबरदार क़रार देते हुए सदर ओबामा ने शाम पर हमले को रोकने सिफ़ारती हल निकालने मुज़ाकरात की कोशिशों की वकालत की। ताहम अख़लाक़ी, सियासी और हिक्मत-ए-अमली पर मब्नी बहस ये है क शाम पर महदूद फ़ौजी कार्रवाई करने के लिए भी अमरीका तैयार है।
ताहम उन्होंने ज़ोर दे कर कहा कि अमरीका सारी दुनिया में पुलिसवाले का रोल अदा नहीं कर रहा है। उन्होंने अमरीकीयों से कहा कि वो आलमी सतह पर होने वाले वाक़ियात का नोट लें। ओबामा ने कहा कि वो समझते हैं कि अमरीकी क़ौम जंगों से तंग आ चुकी है। उन्होंने अवाम को यक़ीन दिलाया कि शाम पर ज़मीनी हमला नहीं किया जाएगा और ना ही उन के ख़िलाफ़ अफ़ग़ानिस्तान की तरह तवील अर्सा तक जंगी कार्रवाई की जाएगी। सदर बशार अल असद से किसी भी किस्म के समझौते में इस बात की तसदीक़ होना ज़रूरी है कि वो अपनी ज़िम्मेदारीयों को पूरा करेंगे या नहीं। इसलिए ताक़त के इस्तिमाल से क़ब्ल सिफ़ारती कोशिश की जा रही है। शाम में ढाई साल से जारी कशीदगी की वजह से एक लाख से ज़ाइद अफ़राद हलाक हो चुके हैं। शाम पर दबाव डालने के लिए अमरीका अपनी कोशिशों को बरक़रार रखेगा।