शाम: यरमौक कैंप में फंसे हुए हज़ारों की सुस्त रफ़्तार मौत

फ़लस्तीनीयों के दमिश्क़ के बाहर यरमौक फ़लस्तीनी पनाह गुज़ीन कैंप में जिस का मुहासिरा कर लिया गया है, तक़रीबन 40 हज़ार अफ़राद फंसे हुए हैं और मुबैयना तौर पर फ़ाक़ाकशी की वजह से सुस्त रफ़्तार से फ़ौत हो रहे हैं। अक़वामे मुत्तहिदा ने सदमा अंगेज़ तस्वीरें जारीया हफ़्ता जारी की हैं। जिन में हज़ारों अफ़राद के चेहरे सुते हुए नज़र आते हैं।

वो मायूस मवेशीयों का एक गिरोह नज़र आते हैं जो ग़िज़ाई इमदाद का शिद्दत से मुंतज़िर है लेकिन सिर्फ़ चंद ही ख़ुश किसमत अफ़राद ग़िज़ा हासिल कर सकते हैं।

एक शामी इंसानी हुक़ूक़ कारकुन रुमी अलसीद ने जो यरमौक में मुक़ीम है, इंटरनेट पर बात-चीत करते हुए कहा कि हम एक वसीअ क़ैदख़ाने में हैं लेकिन कम अज़ कम क़ैदख़ाने में ग़िज़ा तो मिलती है यहां कुछ भी नहीं मिलता। हम सब फ़ाक़ाकशी से सुस्त रफ़्तार मौत का शिकार हो रहे हैं।

बाअज़ औक़ात बच्चों का हुजूम सड़कों पर मुझे रोक लेता है और मुझ से भीक मांगता है। हम खाना चाहते हैं, हमें ग़िज़ा चाहीए, लेकिन मेरे पास कोई ग़िज़ा नहीं है जो उन्हें दे सकूं। अक़वामे मुत्तहिदा की राहत रसानी कामों के इदारे की जानिब से जो खासतौर पर फ़लस्तीनीयों के लिए क़ायम किया गया है, इन हालात से बुरी तरह मुतास्सिर हो चुका है।