शिक्षा में देशभक्ति और सहिष्णुता शामिल होने राष्ट्रपति हिन्द का जोर

नई दिल्ली: कुछ यूनीवर्सिटीयों में जारी विवाद के मद्देनजर राष्ट्रपति भारत प्रणब मुखर्जी ने आज उच्च शिक्षा संस्थानों से ख़ाहिश कि की वे देशभक्ति, करुणा, ईमानदारी, सहिष्णुता और महिलाओं के सम्मान की प्रमुख सभ्यता मूल्यों छात्रों में बनाने की कोशिश करें। वे एक समारोह को संबोधित कर रहे थे जो जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्सिटीयों और तीज़पोर यूनीवर्सिटीयों के संयुक्त बैनर तले अनुसंधान और नवाचार में विशेषज्ञता के विषय पर आयोजित की गई थी।

उन्होंने कहा कि शीर्ष उच्च शिक्षा संस्था होने के लिए आवश्यक है कि इस संस्था में कुछ मूल चीज की पाबंदी की जाती हो। उन्होंने कहा कि उनके विचार में उनमें से अहम रखने वाली सुविधाएँ सुनिश्चित करना है कि शिक्षा और अनुसंधान शिक्षकों की गुणवत्ता में वृद्धि हो और वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अलावा लोकतांत्रिक संगठनों(Democratic institutions) की सुविधाओं को भी अपने छात्रों में पैदा करें।

उन्होंने शैक्षिक कौशल(academic skills) पर जोर देते हुए कहा कि इसके साथ ही साथ देशभक्ति, दया, ईमानदारी, सहिष्णुता, कर्तव्यों का भुगतान और महिलाओं का सम्मान भी छात्रों में बनाया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने वज़ीटरस ऐवार्ड अनुसंधान और आविष्कार के क्षेत्र में प्रोफेसर राकेश भटनागर और पेस्टालोजी ग्रुप के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्सिटी को दिया।

इसके अलावा आसाम की तीज़पोर यूनीवर्सिटी सालाना विज़ीटरस ऐवार्ड बेहतरीन यूनीवर्सिटी दिया गया। राष्ट्रपति सैंटर्ल यूनीवर्सिटीयों के विज़ीटर हैं, यह ऐवार्ड हमारे लिए कारण आंदोलन होना चाहिए। अलग अलग‌ यूनीवर्सिटीयों और उनकी शैक्षिक समुदायों में अधिक महारत पैदा होना चाहिए। राष्ट्रपति राष्ट्रपतिभवन में एक समारोह के दौरान संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आप सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि शिक्षा और प्रशिक्षण के मंदिर निर्माण कर सकें।