शीला दीक्षित अवामी बरहमी पर जंतर मंतर से वापसी पर मजबूर

नई दिल्ली, 29 दिसम्बर चीफ़ मिनिस्टर दिल्ली शीला दीक्षित को अवामी बरहमी का सामना हुआ जब उन्हें जंतर मंतर से वापसी पर मजबूर होना पड़ा जहां वो इजतिमाई इस्मत रेज़ि की शिकार 23 साला तालिबा की मौत के सोग में हिस्सा लेने गई थीं। शीला दीक्षित जंतर मंतर पहुंचें जहां तक़रीबन 2 बजे लग भग 500 लोग उस लड़की की मौत का सोग मनाने के लिए जमा थे लेकिन चीफ़ मिनिस्टर को जल्द ही वापिस होना पड़ा क्योंकि बरहम एहितजाजियों ने इन का घीराव‌ किया और उन्हें वापसी पर मजबूर किया।

चीफ़ मिनिस्टर और पुलिस ने एहितजाजियों को समझाने की कोशिश की कि उन्हें भी इस इजतिमा का हिस्सा बनने दिया जाये लेकिन मुज़ाहिरीन कुछ भी सुनने के मूड में नहीं थे। ताहम जंतर मंतर से रवाना होने से पहले चीफ़ मिनिस्टर ने एक मोम बत्ती जलाई और मुतवफ़्फ़ी लड़की के लिए दुआ की।

उन्होंने जंतर मंतर को उन के दौरे के ताल्लुक़ से पूछने पर पी टी आई को बताया कि में वहां उस लड़की की मौत पर मेरे ग़म का इज़हार करने गई थी। जंतर मंतर में एक एहितजाजी ने कहा, क्या आप चाहते हो कि किसी की मौत को सियासी रंग दिया जाये। वो तब क्यों नहीं आएं जब एहतिजाजों की शुरूआत हुई? उन्होंने तो पोलिसी को हमें हटाने की हिदायत तक दी थी जब हम ने उनकी क़ियामगाह के बाहर एहतिजाज किया था।

चंद ही मिनट में चीफ़ मिनिस्टर को पुलिस की तरफ‌ से बहिफ़ाज़त इस इलाके से लेजाया गया। लोग जंतर मंतर पर सुबह लग भग 10 बजे से जमा होने लगे और ख़ामोश बैठ गए थे।