सऊदी अरब धैर्य से काम लेते हुए इस्लामी दुनियां को गृहयुद्ध से बचाए: मौलाना उर्फ़ी क़ासमी

नई दिल्ली। अखिल भारतीय संगठन उलेमा-ए-हक़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद एजाज उर्फ़ी कासमी ने सऊदी अरब को भारत और पाकिस्तान के बाहमी खींचतान और सीमा पर गोलियों के तबादले के बावजूद दोस्ताना और सद्भावना संबंध से सबक लेने की अपील करते हुए कहा कि वह क्षेत्र में युद्ध को छोड़ कर बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करे ताकि इस्लामी दुनियां को विनाश से बचाया जा सके।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार अखिल भारतीय राष्ट्र मिलली मोर्चे के द्वारा जामिया फैजान नुबुव्वत में आयोजित ‘इस्लामी सम्मेलन’ की अध्यक्षता करते हुए मौलाना ने कहा कि बेहद तनाव के बावजूद हिन्द-पाक वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रतिद्वंद्वी और कट्टर दुश्मन के रूप में प्रसिद्ध हैं मगर इन दोनों देशों में से किसी ने संगठित और सुनियोजित रूप से एक दूसरे पर चढ़ाई या युद्ध छेड़ने की कोशिश नहीं की, क्योंकि दोनों देशों के शासकों को पता है कि युद्ध से देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाती है। सऊदी अरब को भी चाहिए कि वे इस्लामी दुनियां को युद्ध से बचाए।
उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत का शांतिपूर्ण और गंभीर रुख बहुत सराहनीय रहा है कि उसने सारी शक्ति के बावजूद धैर्य और विवेक का परिचय देते हुए अपने पड़ोसी देश पर हमला नहीं किया। इस समय पूरा इस्लामी दुनिया लहूलुहान है ऐसी वातावरण में ईरान के शिया सुन्नी एकता का संदेश एक महत्वपूर्ण कदम है, सऊदी सरकार को इस संदेश का स्वागत करना चाहिए। सऊदी अरब के माध्यम से वीजा पर दो हजार रियाल की अतिरिक्त राशि और इजरायली राष्ट्रपति रोवेन रयूलन की कल भारत आगमन व सरकारी स्वागत में मौलाना कासमी ने कहा कि यह भारतीय परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने सऊदी अरब को भी दो हजार रियाल बढ़ाने पर आलोचना का निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि सऊदी प्रशासन ने हाल ही में उमरा वीजा पर दो हजार रियाल बढ़ा कर जो फैसला किया है वह उचित नहीं है।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय पोलटिकल परिषद के अध्यक्ष डॉ तस्लीम रहमानी ने कहा कि सऊदी अरब दुनिया का पहला देश है जो किसी व्यक्ति के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार कोई लोकतांत्रिक तरीके से अस्तित्व में नहीं आई है बल्कि गलत तरीके से कब्जा किया गया है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की आय का मुख्य स्रोत हज से होने वाली आय है इसलिए हज के लिए समय-समय पर इस शुल्क में वृद्धि करता रहता है। एकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जनता में एकता है लेकिन सत्तारूढ़ स्तर पर इसका अभाव नजर आता है।