सपा सरकार ने राजनीतिक नेताओं के खिलाफ दर्ज 19 मामलों को लिया वापस

लखनऊ : रविवार दोपहर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हुए अपने गठबंधन के बाद एक प्रेस कांफ्रेस को संबोधित किया था|जिसमें उन्होंने प्रगति, समृद्धि और स्वच्छ शासन के मुद्दे पर ज़ोर दिया था | लेकिन क्या वास्तव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में स्वच्छ शासन पर ध्यान दिया है |

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक़ पिछले पांच वर्षों में, सपा सरकार ने राज्य के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कम से कम 19 मामलों को वापस लिया है | इनमें  दंगे, धोखाधड़ी और अपहरण से जबरन वसूली करने और के गैर इरादतन हत्या के मामले भी शामिल हैं|

जिन नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज अपराधिक मामलो को वापस लिया गया है उनमे सात राज्य मंत्री, 10 सपा विधायक, आगरा से भाजपा सांसद राम शंकर कठेरिया, भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र शामिल हैं। इन अपराधिक मामलों को “सार्वजनिक हित और न्याय के हित ‘के आधार पर आवेदन दायर कर वापस लिया गया है |जिन लोगों के ख़िलाफ़ केस वापस लिए गये हैं उसमें रघुराज सिंह उर्फ़ राजा भैय्या के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश गैंगेस्टर एंटी सोशल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन )एक्ट 1986 के तहत  दर्ज एक केस को जुलाई 2014 में वापस लिया गया था | सपा विधायक अभय सिंह और विजय मिश्रा के ख़िलाफ़ दर्ज केस को भी वापस लिया गया है | सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज केस को जुलाई 2014 में वापस लिया गया जबकि मिश्रा के मामले पर याचिका लंबित है|

जिन नेताओं के खिलाफ केस वापस लिए गये हैं उनमे शामिल छह सपा मंत्रियों 10 विधायकों में से विजय मिश्रा और भगवान शर्मा को छोड़कर सात विधायकों को आगामी यूपी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया है |

उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने राज्य सरकार द्वारा आरोपियों के ख़िलाफ़ दर्ज मुकदमे वापस लेने की पुष्टि की है|  लेकिन इस कार्रवाई के पीछे क्या वजह है चुनावों की शुरुआत के साथ राज्य में ‘राजनीतिक माहौल’ का हवाला देते हुए कोई भी इस बात का जवाब देने के लिए तैयार नहीं हुआ |
प्रमुख सचिव (गृह) देवाशीष पांडा ने इन मामलों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा  उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है|