साध्वी को क्लीनचिट पर सवालिया निशान

मुंबई 29 जून: 2008 मालेगाव बम धमाका मुक़द्दमे की मुल्ज़िमा साध्वी परगिया सिंह ठाकुर को एनआईए की क्लीनचिट पर अमलन सवालात उठाते हुए ख़ुसूसी एनआईए अदालत ने ये एहसास ज़ाहिर किया कि बादियुन्नज़र में ये तमाम इल्ज़ामात दरुस्त लगते हैं और साध्वी की दरख़ास्त ज़मानत मुस्तर्द कर दी।

ख़ुसूसी जज एसबी टीकाले ने बंद कमरे में मुनाक़िदा समाअत के दौरान धमाके के मुतास्सिरीन की तरफ से साध्वी की दरख़ास्त पर एतराज़ के बाद ज़मानत मुस्तर्द कर दी। एडवोकेट वहाब ख़ां ने इस मुक़द्दमे में पेश होते हुए जो ज़ख़मीयों में शामिल हैं, कहा कि अदालत ने नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एन आई ए ) की सरज़निश की जिसने तहक़ीक़ात के नाम पर इस मुक़द्दमे की अज़सर-ए-नौ तहक़ीक़ात शुरू कर दी थी।

एनआईए ने 13 मई को इस मुक़द्दमे में पेश करदा अपनी चार्ज शीट में साध्वी परगिया और चार दुसरें के नाम हज़फ़ कर दिए थे। ख़ुसूसी अदालत में पेश करदा इस चार्ज शीट में कहा गया कि उनके ख़िलाफ़ कोई शवाहिद नहीं पाए गए और मकोका भी बर्ख़ास्त कर दिया गया। इस के अलावा एनआईए ने जारीया माह के अवाइल में साध्वी की दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त भी नहीं की थी। ख़ुसूसी जज ने अपने हुक्मनामा में कहा कि ये नहीं कहा जा सकता कि एनआईए की तरफ से मज़ीद रिपोर्ट पेश ना किए जाने की वजह से हालात-ओ-वाक़ियात में किसी तरह की तबदीली वाक़्ये हुई है। अगर एनआईए का यही मौकुफ़ है तो महिज़ एनआईए के एतराज़ ना करने की वजह से दरख़ास्त ज़मानत को क़बूल करना मुश्किल है। जज ने कहा कि एसी कई ठोस बुनियादें हैं जिनकी बिना पर मुल्ज़िम के ख़िलाफ़ बादियुन्नज़र में इल्ज़ामात दरुस्त लगते हैं।

अदालत ने ये भी एहसास ज़ाहिर किया कि इस मीटिंग में हिंदू राष्ट्र क़ायम करने का भी मन्सूबा बनाया गया और उनकी बेहस से ये पता चलता है कि वो एक मुतबादिल हुकूमत क़ायम करने के ख़ाहां हैं।