साध्वी प्रज्ञा की जमानत का विरोध करने वाली जमीअत की याचिका को हाईकोर्ट ने किया मंजूर

मुंबई। मुंबई हाई कोर्ट ने आज यहां मालेगांव बम धमाकों की प्रमुख आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की ओर से दाखिल किए गए ज़मानत की अर्ज़ी का विरोध करने वाली जमीअत उलेमा की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है, और अपनी कार्यवाही 16 दिसंबर तक स्थगित किए जाने का आदेश जारी किया।

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गौरतलब है कि पिछले दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने साध्वी को क्लीन चिट दे दी थी जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकारी वकील साध्वी की जमानत का विरोध नहीं करेंगे और साध्वी आसानी से जमानत पर रिहा हो जाएंगी क्योंकि अदालत में उसकी याचिका की कोई विरोध नहीं होगी तथा ऐसे मौके पर जमीअत की ओर से विरोध याचिका को हाईकोर्ट की ओर से मंजूर किया जाना, साध्वी को हरी झंडी दिखलाए जाने के बिना अब उसे कानूनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार मुंबई हाई कोर्ट ने जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस जोशी की शामिल दो सदस्य बेंच के समक्ष यहां साध्वी की जमानत की सुनवाई प्रक्रिया में आई जिसके दौरान नागपुर से आए वरिष्ठ एडवोकेट अविनाश गुप्ते ने अदालत को बतलाया कि साध्वी का मालेगांव बम विस्फोट से कोई संबंध नहीं है और उसे निराधार आरोपों के तहत जेल के सलाखों के पीछे कैद कर रखा गया है तथा खोजी एजेंसी ने इस मामले में अपनी जांच पूरी कर ली है आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और वे विभिन्न रोगों से पीड़ित हैं।

एडवोकेट गुप्ते ने अदालत को अधिक बतलाया कि मालेगांव बम धमाके की अंतिम जांच एनआईए ने की थी और उसे भी साध्वी के खिलाफ कोई सबूत उपलब्ध नहीं हुआ था यही कारण है कि एनआईए ने न केवल साध्वी को क्लीन चिट दिया बल्कि उसे साध्वी की जमानत पर रिहाई पर भी कोई आपत्ति नहीं है तो अदालत को आरोपी को तुरंत जमानत देना चाहिए और इसमें उसे कोई संकोच महसूस नहीं होना चाहिए,

इसी बीच जमीअत की ओर से एडवोकेट अब्दुल वहाब खान और एडवोकेट शरीफ शेख ने अदालत के समक्ष मालेगांव के एक प्रभावशाली हस्तक्षेप याचिका दाखिल की और अदालत को बताया कि साध्वी पर गंभीर अपराध लगाए गए हैं और वह इन धमाकों की मुख्य आरोपी हैं तो साध्वी को जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए और जमीअत को बतौर हस्तक्षेप इस मामले का विरोध किए जाने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, दो सदस्यीय खंडपीठ ने जमीअत के वकीलों के तर्क सुनने के बाद उनके हस्तक्षेप याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर किया और अगली कार्यवाही 16 दिसंबर तक स्थगित कर दिया दौरान कार्यवाही अदालत में एडवोकेट अंसार तंबोली, मतीन शेख और अन्य वकील मौजूद थे.