साल-ए-नौ का जश्न मनाते मनचले नौजवान बेक़ाबू , सड़कों पर चीख-ओ-पुकार

शहर में साल-ए-नौ की आमद पर ज़बरदस्त जश्न मनाया गया । पुराना शहर से नए शहर तक नौजवानों की टोलियां चीख-ओ-पुकार करती नज़र आइं जबकि बे मक़सद चीखने चिल्लाने वाले इन बेक़ाबू नौजवानों की अजीब-ओ-गरीब और हयासोज़ हरकतों पर ख़ुद पुलिस ओहदेदारों को हैरत हुई ।

साल-ए-नौ का जश्न मनाने वालों में जहां मुतमव्विल ख़ानदानों के लड़के शामिल थे वहीं पुराना शहर के वो नौजवान भी देखे गए जो ऑटो चला कर कारख़ानों में काम करके और मामूली मुलाज़मतें कर के अपनी ज़िन्दगियों की गाड़ी को खींचे जा रहे हैं ।

दो यौम क़्ब्ल ही हम ने अपने बच्चों को नए साल के जश्न की तबाह कार्यों से दूर रखने वालदैन को मश्वरा दिया था । अल्लाह का शुक्र है कि वालदैन की एक कसीर तादाद ने इस रिपोर्ट पर मुसबत रद्द-ए-अमल का इज़हार करते हुए अपने बच्चों को 31 दिसंबर की रात घर से निकलने ही नहीं दिया ।

क़ारईन हम ने देखा कि हुसैन सागर , ने किलस रोड और ख़ैरताबाद उबूरी पुल को बंद करदेने के बावजूद बदमसत नौजवान करीबी चौराहों पर अजीब-ओ-गरीब हरकतों का इर्तिकाब कर रहे थे । छः छः आठ आठ नौजवान किसी ऑटो में सवार और इस के छत पर बैठे चीख़े जा रहे थे

तो कुछ नौजवान कारों पर बैठे अपने हलक़ फाड़ फाड़ कर लोगों को अपनी जानिब मुतवज्जा करने की कोशिश कर रहे थे एक ओहदेदार का कहना था कि माँ बाप अपनी औलाद को इस उम्मीद से बड़ा करते हैं कि वो पढ़ लिख कर दुनिया में इन का नाम रोशन करेगा । इसलिए वो अपने बच्चों की हर फ़र्माइश पूरी करते हैं यहां तक कि महंगी गाड़ियां तक खरीद कर देते हैं ।

उन्हें अंदाज़ा नहीं होता कि वो जिस औलाद पर अच्छा इंसान बनने का भरोसा किए हुए हैं वो इस तरह सड़कों पर निचली हरकतें करके अपने ख़ानदान के नाम पर स्याही पोत रहा है । काश ये नौजवान नए साल का जश्न मनाने से क़्ब्ल ये सोचते कि उन लोगों ने साल 2012 में क्या कारनामा अंजाम दीए । कौनसी कामयाबी हासिल की । अपने वालिद को किस किस्म की ख़ुशीयां फ़राहम किए ।

ज़िंदगी को सुधारने , एक अच्छा शहरी बनने कैसी मेहनत की , लोगों की मदद के लिए ख़िदमात अंजाम दी हैं यह नहीं । तो हम यक़ीन से कह सकते हैं कि उन की आँखों में आँसू और चेहरों पर पचथावे के तास्सुरात होते और वो इस बात का अह्द करते कि कम अज़ कम नए साल में अपनी ज़िन्दगियों को मुसबत रुख़ देंगे और बुराईयों से इजतिनाब करेंगे ।