सियासतदानों पर फ़ासट ट्रैक अदालतों में मुक़द्दमों की तजवीज़

नई दिल्ली,31 जनवरी: संगीन जराइम से मुताल्लिक़ फ़ौजदारी इल्ज़ामात का सामना करने वाले उम्मीदवारों को नाअहल क़रार देने से मुताल्लिक़ वर्मा कमीशन की सिफ़ारिश को आज कुछ ताईद हासिल हुई, जब वज़ीर क़ानून अश्वनी कुमार ने कहा कि उसे मुक़द्दमात की तेज़ रफ़्तार समाअत होनी चाहीए और तरजीहन तहत की अदालतें इन मुक़द्दमात पर अंदरून 18 माह फैसला करें।

वज़ीरे क़ानून ने कहा कि इंतिख़ाबी इस्लाहात के सवाल पर वो चीफ इलेक्शन कमिश्नर वो इस संपत से इबतिदाई तबादला-ए-ख़्याल करचुके हैं और ला कमीशन से अप्रैल तक ठोस तजावीज़ दाख़िल करने की ख़ाहिश की गई है। उन्होंने मज़ीद कहा कि वसीअतर इत्तिफ़ाक़ राय पैदा करने के लिए मुख़्तलिफ़ सयासी जमातों के साथ हुकूमत तफ़सीली तबादला-ए-ख़्याल करेगी जिस के बाद ही ज़रूरी क़ानूनसाज़ी की जाएगी।

जस्टिस जे एस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशात का तज़किरा करते हुए अश्वनी कुमार ने कहा कि कम से कम पाँच साल की सज़ा के मुस्तजिब फ़ौजदारी मुक़द्दमात का सामना करने वाले उम्मीदवारों को नाअहल क़रार देने की तजवीज़ पर दोनों जानिब सरगर्म बेहस जारी है। वज़ीर क़ानून ने पी टी आई को एक इंटरव्यू देते हुए कहा कि शख़्सी तौर पर में समझता हूँ कि दर्ज करदा फ़ौजदारी मुक़द्दमात और समाअत की तकमील के बाद सज़ा देने वाले मुक़द्दमात की तादाद में हाइल फ़र्क़ पर भी तवज्जा दी जानी चाहीए।